राष्ट्रीय महिला आयोग ने राज्यों के मुख्य सचिवों से अपील की है कि वे टीकाकरण में लैंगिंक अंतर को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाएं

राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्य सचिवों को पत्र लिख कर कहा है कि रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं में कोविड-19 का टीका कम लग रही है। ऐसे में आयोग ने आग्रह किया है कि वह ऐसे कदम उठाएं, जिससे इस लैंगिक अंतर को खत्म किया जा सके और महिलाएं भी टीकाकरण अभियान में पीछे नहीं रहे। दो लिंगों के बीच टीकाकरण कवरेज में अंतर आयोग के लिए बहुत चिंता का विषय है। और इसलिए अध्यक्ष सुश्री रेखा शर्मा ने पत्र में उल्लेख किया है कि टीकाकरण बूथों पर टीके के लिए आने वाली महिलाओं के अनुपात को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है। जिससे इस अंतर को ठीक किया जा सके।
पत्र में यह भी लिखा गया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा करने की जरूरत है ताकि प्राथमिकता के आधार पर अधिक से अधिक महिलाओं का टीकाकरण किया जा सके। पत्र की एक प्रति सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों को भी भेजी गई है। मीडिया रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया था कि टीकाकरण में वर्तमान लिंग-अंतर युवा महिलाओं की तुलना में बुजुर्ग महिलाओं में काफी अधिक है। यह समाज में लिंग के आधार पर मौजूद रूढ़िवादिता को दर्शाता है जिसके कारण महिलाओं को पीछे छोड़ दिया जा रहा है। इसकी वजहों में एक,  दोनों लिंगों के लिए संसाधन और प्रौद्योगिकी की असमान पहुंच भी शामिल है।
पत्र में, राष्ट्रीय महिला आयोग ने उल्लेख किया है कि कई घरों में, महिलाओं के स्वास्थ्य को पुरुषों की तुलना में कम तरजीह  दी जाती है। यदि वे घर से बाहर काम नहीं करती हैं और तो उन्हें टीकाकरण में बेहद कम वरीयता दी जाती हैं। हालांकि, प्राथमिक स्तर पर परिवार के किसी भी बीमार सदस्य की देखभाल करते समय महिलाओं के संक्रमित होने की अधिक आशंका रहती है।
 राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिखा है कि केंद्र टीके के किसी भी दुष्प्रभाव के बारे में गलत सूचना और अफवाहों को दूर करने के लिए नियमित अभियान चला रहा है। साथ ही देश के हर कोने-कोने तक पहुंचने के लिए गहन टीकाकरण अभियान भी चला रहा है। राज्य सरकारों को भी इस तरह का अभियान जारी रखना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो कि सही जानकारी भारत के दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच रही है।
भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तत्वावधान में महिलाओं के हितों की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग राष्ट्रीय स्तर का सर्वोच्च संगठन है।
 
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