राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस

विश्व की तरह ही भारत में किसी भी जगह एमएसएमई मूल्य श्रृंखला के अभिन्न हिस्से हैं, जो एक ओर विविध उत्पादों की पेशकश करते हैं और दूसरी ओर बड़े उद्योगों के लिए मध्यवर्ती वस्तुओं को पहुंचाते हैं। यह सबसे बड़ा रोजगार पैदा करने वाला और भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।

भारत में 6.3 करोड़ से अधिक एमएसएमई हैं, जिनके पास अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचने और बड़ी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के लिए सहायक के रूप में काम करने की योग्यता व क्षमता है। निर्यात के संदर्भ में, यह क्षेत्र विभिन्न उप-क्षेत्रों जैसे कपड़ा, चमड़ा व चमड़े के सामान, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोटिव, रत्न और आभूषण आदि में 45 फीसदी के व्यापक योगदान के साथ उच्च क्षमता रखता है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक उत्कृष्ट वृद्धि का प्रदर्शन किया है और इसके विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरने की संभावना है, जो 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। इस प्रकार, व्यापक उद्यमिता विकास वातावरण को सुदृढ़ करने के लिए इसे एक बड़ा प्रोत्साहन दिया जाना है और इन उद्यमों के अंतरराष्ट्रीयकरण से संबंधित बाधाओं को समझने की जरूरत है।

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सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय एमएसएमई के विकास की दिशा में अथक प्रयास कर रहा है और इसने भारत में एमएसएमई इकोसिस्टम को आगे बढ़ाने के लिए पहल किया है। एमएसएमई मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए कुछ प्रमुख सुधार इस प्रकार हैं :

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