भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में, कोयला मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के पर्यावरण विभाग ने “आजादी का अमृत महोत्सव” के भाग के रूप में वर्चुअल रूप से एक संगोष्ठी का आयोजन किया।
इस संगोष्ठी का शीर्षक “ईसीएल के कार्बन पृथक्करण और वाटर फुट्प्रिन्ट का अध्ययन” था जबकि इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर प्रचलित “पर्यावरण और स्थिरता” से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं और नवीनतम रुझानों पर जानकारी को अपडेट करना था। सेमिनार के रिसोर्स पर्सन, डॉ. डी डी मजूमदार, पीएचडी (पर्यावरण विज्ञान) प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, एनईईआरआई कोलकाता थे।
संगोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जिसमें रिसोर्स पर्सन ने खदान क्षेत्र में वनीकरण के कारण कार्बन पृथक्करण क्षमता की गणना करने वाली कार्यप्रणाली को साझा किया। सीआईएल की खानों में अपनाई जा सकने वाली अधिकतम कार्बन पृथक्करण के लिए खान सुधार की सर्वोत्तम प्रथाओं पर विचार-विमर्श किया गया। सेमिनार में वाटर फुटप्रिंट की अवधारणा और वाटर ऑडिट और इसके बीच अंतर के बारे में भी बताया गया।
सीआईएल, सीएमपीडीआई और एनईसी की सभी सहायक कंपनियों के 80 से ज्यादा अधिकारियों ने 75 वेब लिंक प्वांइट के माध्यम से इस वेबिनार में हिस्सा लिया।
संगोष्ठी के दौरान प्राप्त किए गए कुछ स्क्रीनशॉट नीचे दिए गए हैं।
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एमजी/एएम/एके/डीए