राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने बालिकाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण सहित बालिकाओं से संबंधित विभिन्न विषयों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए आज राष्ट्रीय बालिका दिवस पर ‘ बेटी बचाओ’ विषय पर एक वेबिनार आयोजित किया। इस दौरान हुई चर्चा का उद्देश्य बालिकाओं के प्रति समाज के नजरिए में बदलाव लाकर बालिकाओं के प्रति एक नए दृष्टिकोण को बढ़ावा देना और उनके साथ होने वाले भेदभाव को कम करने के लिए जागरूकता उत्पन्न करना था।
अध्यक्ष सुश्री रेखा शर्मा, हरियाणा सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री ओ.पी. धनखड़ और ‘सेव द चिल्ड्रन’ अभियान की प्रमुख प्रज्ञा वत्स ने इस वेबिनार में पैनलिस्ट के रूप में भाग लिया। अध्यक्ष ने बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, चयन की आजादी और निर्णय लेने के अधिकार से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि बालिकाएं जीवन के सभी क्षेत्रों में बालकों से बराबरी कर रही हैं और सरकार बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महिला केंद्रित नीतियों की शुरुआत कर रही है।
सुश्री शर्मा ने कहा, ‘बालिकाओं ने हर क्षेत्र में अपनी उत्कृष्ट योग्यता साबित की है और राष्ट्रीय महिला आयोग अपने कार्यक्रमों के माध्यम से हर क्षेत्र में बालिकाओं की सुरक्षा एवं सशक्तिकरण सुनिश्चित करता रहा है। हमारी सरकार लड़कियों को अपने नेतृत्व की बेहतरीन क्षमता का प्रदर्शन करने का अवसर देती रही है, लेकिन अब भी समाज को अपनी प्रतिगामी मानसिकता को छोड़ने की जरूरत है ताकि बालिकाएं आगे आ सकें और व्यापक बदलाव में भागीदार बन सकें।’
श्री धनखड़ ने कहा कि सरकार समाज में व्यापक बदलाव लाने के लिए बड़ी सक्रियता से विभिन्न पहल करती रही है। श्री धनखड़ ने कहा, ‘अब समाज में बदलाव दिखाई दे रहा है; हालांकि, व्यापक बदलाव की जरूरत है। हमारे प्रधानमंत्री और सरकार बालिकाओं को बचाने एवं बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं जो अब समाज में स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है।’
सुश्री वत्स ने तीन ‘पी’ यथा गरीबी, पितृसत्ता और धारणा पर विशेष जोर दिया जो महिलाओं को उनकी वास्तविक संभावनाओं और क्षमता से वंचित कर देती हैं। उन्होंने कहा कि बालिकाओं का सशक्तिकरण और विकास सुनिश्चित करने के लिए समस्त स्तरों पर सहयोग और समन्वय के जरिए सामूहिक प्रयास करना अत्यंत आवश्यक है।
भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय के तत्वावधान में कार्यरत राष्ट्रीय महिला आयोग अपने विभिन्न कार्यक्रमों और पहलों के जरिए लड़कियों के साथ लंबे समय से हो रहे व्यापक भेदभाव को समाप्त करने के लिए समर्पित रूप से काम करता रहा है और यह चर्चा इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक कदम था।
‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ की शुरुआत पहली बार वर्ष 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी। यह हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है जिसका उद्देश्य भारत की बालिकाओं को आवश्यक सहायता और अवसर प्रदान करना है। इसका लक्ष्य बालिकाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ बालिकाओं की शिक्षा, उनके स्वास्थ्य और पोषण के विशेष महत्व के बारे में भी जागरूकता बढ़ाना है।
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