महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने “स्त्री मनोरक्षा परियोजना” का शुभारंभ किया

महिला और बाल विकास मंत्रालय एक से आठ मार्च, 2022 तक अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह मना रहा है, जो ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के देशव्यापी जश्न के क्रम में मनाया जा रहा है। सप्ताह भर चलने वाले समारोहों के तहत दूसरे दिन, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसके सुबह वाले सत्र में निमहांस के सहयोग से तैयार की गई “स्त्री मनोरक्षा परियोजना” का शुभारंभ महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने किया। परियोजना का लक्ष्य है देशभर में छह हजार वन-स्टॉप केंद्रों (ओएससी) के पदाधिकारियों को मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण प्रदान करना। उसी दिन बाद में दोपहर के सत्र में ओएससी के क्षमता निर्माण पर एक विचार-बैठक का आयोजन नालसा के सहयोग से किया गया। इस कार्यक्रम में सरकारी अधिकारियों, निमहांस, नालसा और देशभर के ओएससी के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

सुबह के सत्र में श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने सभी वन-स्टॉप केंद्रों ‘सखी’ का स्वागत किया और कहा कि वे महिलाओं तथा बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने वाली प्रहरी हैं। श्री इरानी ने कहा, “आज जिस परियोजना पर हम निमहांस के साथ चर्चा कर रहे हैं, अगर उसे सिर्फ परियोजना के तौर पर ही देखा गया, तो हम लोग प्रशासनिक ढांचे में ही सीमित होकर रह जायेंगे। लेकिन यह परियोजना महिलाओं को सम्मान तथा बेहतर जीवन दिलाने वाली परियोजना है, जो हिंसा के चक्र को तोड़ेगी।” सही पारिवारिक मूल्य सिखाने और उनके प्रभाव के महत्त्व का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि हिंसा का चक्र घर से शुरू होता है, जहां बच्चा उस हिंसा को देखता है, जबकि सच्चे पारिवारिक मूल्य महिलाओं को सशक्त बनाते हैं और बच्चों को भी उन मूल्यों के बारे में पता चलता है।

श्रीमती इरानी ने आगे कहा कि जब कोई महिला वन-स्टॉप केंद्र में आती है, तो उसे बाहर निकलने के लिये बहुत साहस जुटाना पड़ता है। उसे स्वीकार करना पड़ता है कि उसके साथ ज्यादती हुई है। इसे मद्देनजर रखते हुये श्रीमती इरानी ने ओएससी के सभी कर्मियों से कहा कि काउंसलर से लेकर सेक्यूरिटी गार्ड और सुपरवाइजर तक, सबको मुसीबत में पड़ी महिला की मदद करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये। एक ट्वीट में श्रीमती इरानी ने कहा कि निमहांस ने प्रशिक्षण प्रारूप बहुत बारीकी से तैयार किया है, जिससे सभी पदाधिकारियों को मुसीबत में पड़ी महिलाओं की सहायता करने में आसानी होगी। इसके जरिये अपनी देखभाल खुद करने की तकनीक भी उन्हें प्रदान की जायेगी।

‘Stree Manoraksha’ Project launched with @mheduNIMHANS is aimed at extending mental health training to 6000 OSC functionaries across India. Training module meticulously carved out by NIMHANS will aid functionaries in helping distressed women & also provide self-care techniques. pic.twitter.com/CDIcksdlaI

 

नालसा द्वारा आयोजित दोपहर के सत्र के दौरान श्रीमती इरानी ने नालसा और एसएलएसए के देशभर के वकीलों के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने ओएससी में आने वाली पीड़ित महिलाओं की बहुत मदद की। उन्होंने बताया कि महिला और बाल विकास मंत्रालय नालसा के सहयोग से ‘नारी अदालत’ को प्रायोगिक तौर पर शुरू करने की सोच रहा है, ताकि पीड़ित महिलाओं को जल्द न्याय मिल सके। श्रीमती इरानी ने सेवा शर्तों को लेकर ओएससी के स्टाफ की चिंताओं को भी दूर किया। उन्होंने घोषणा कि कि ओएससी के स्टाफ को बीमा योजना के तहत सुरक्षा कवच प्रदान किया जायेगा।

यह भी पढ़ें :   दिव्यांगजनों के समावेशन के लिए उनकी क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करना अहम है- डॉ. वीरेंद्र कुमार

कार्यक्रम में देश के मौजूदा हालात पर भी गौर किया गया। इस दौरान उन पहलों के बारे में भी बताया गया, जिन्हें महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षण और उनके मनोवैज्ञानिक आरोग्य के लिये महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के जरिये कार्यान्वित किया जा रहा है। स्त्री मनोरक्षा परियोजना पर फिल्मों को भी नालसा के जरिये जागरूरता पैदा करने के लिये कार्यक्रम के दौरान दिखाया गया। वन-स्टॉप केंद्रों द्वारा सहायता प्राप्त महिलाओं ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया और अपने-अपने अनुभव साझा किये। ओएससी के प्रतिनिधियों और लाभार्थियों के साथ चर्चा-सत्रों का भी आयोजन किया गया।

दूसरे दिन के कार्यक्रम के दौरान पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआर-एंड-डी), निमहांस और नालसा जैसी विभिन्न एजेंसियों के साथ किये जाने वाले कामों, सहयोग और संभावनाओं पर भी चर्चा की गई। कार्रवाई करने के लिये ठोस कदम उठाये जाने पर भी बात की गई।

बीपीआर-एंड-डी के साथ सहयोगः बीपीआर-एंड-डी, देश में गृह मंत्रालय के अधीन पुलिस अनुसंधान और विकास का प्रमुख संगठन है। यह संगठन पुलिस के आधुनिकीकरण, पुलिस अधिकारियों तथा अभियोजन अधिकारियों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिये सरकार को परामर्श देता है और सहायता करता है। निर्भया निधि के तहत बीपीआर-एंड-डी ने 19 हजार से अधिक अधिकारियों और चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है। संगठन ने इन सबको सेक्सुअल असॉल्ट एविडेंस कलेक्शन किट (एसएईसी किट) को इस्तेमाल करने का भी प्रशिक्षण दिया है। संगठन साइबर अपराध से निपटने के लिये पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित कर रहा है। बीपीआर-एंड-डी ने महिला पुलिस डेस्क और मानव तस्करी निरोधी इकाई के क्षमता निर्माण के लिये भी प्रशिक्षण दिया है। इस अवसर पर, यह तय किया गया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, बीपीआर-एंड-डी के सहयोग से देशभर के ओएससी पदाधिकारियों को प्रशिक्षत करेगा, ताकि वे लोग महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों से निपटने के लिये बेहतर तरीके से तैयार हो सकें। इसके अलावा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, बीपीआर-एंड-डी के सहयोग से एनआईपीसीसीडी के माध्यम से आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी शुरू करेगा।

निमहांस के साथ सहयोगः सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रम के दूसरे दिन बेंगलुरु में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने निमहांस के सहयोग से ‘स्त्री मनोरक्षा परियोजना’ का शुभारंभ किया। परियोजना देश की महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक आरोग्य पर जोर देगी। परियोजना के केंद्र में ओएससी पदाधिकारियों का क्षमता-निर्माण है, ताकि वे हिंसा तथा मुसीबत झेलकर वन-स्टॉप केंद्रों पर आने वाली महिलाओं के मामलों को हल करने की तकनीक और कौशल से लैस हो सकें। यह प्रशिक्षण इसलिये दिया जायेगा, ताकि पदाधिकारी ऐसी महिलाओं के साथ संवेदनशीलता से काम करें। परियोजना का ध्यान इस बात पर भी है कि ओएससी स्टाफ तथा काउंसलरों को व्यक्तिगत देखभाल करने की तकनीकें भी सिखाई जायें। परियोजना को निमहांस ने बहुत बारीकी से तैयार किया है तथा वह मंत्रालय द्वारा व्यक्त आवश्यकताओं के मद्देनजर बनाई गई है। वह दो प्रारूपों में चलाई जायेगी। पहले प्रारूप के तहत सभी ओएससी पदाधिकारियों, सेक्यूरिटी गार्ड, बावर्ची, सेवक, मामलों को देखने वाले कर्मियों, काउंसलरों, केंद्र के प्रशासकों, पैरा-मेडिकल स्टाफ आदि को बुनियादी प्रशिक्षण दिया जायेगा। दूसरे प्रारूप में उन्नत पाठ्यक्रम पर बल दिया जायेगा, जिसके केंद्र में विभिन्न घटक होंगे। इनमें बहुआयामी प्रभावों और जीवन पर्यन्त रहने वाले सदमे को शामिल किया गया है, जो महिलाओं के विरुद्ध हिंसा से उत्पन्न होते हैं। इनके अलावा दिग्दर्शक सिद्धांतों तथा यौन शोषण में सदमे के मामलों से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने, मानसिक उत्पीड़न का मूल्यांकन करने, मनोदशा दुरुस्त न रहने तथा आत्मघाती प्रवृत्तियों को रोकने का भी प्रशिक्षण दिया जायेगा। साथ ही काउंसलिंग करते समय नैतिक और प्रोफेशनल सिद्धांतों का पालन करना भी सिखाया जायेगा। इस सम्बंध में श्रीमती इरानी ने ओएससी काउंसलरों के लिये उन्नत प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम की भी शुरूआत की तथा ओएससी स्टाफ के क्षमता निर्माण के लिये संसाधन सामग्री जारी की।

यह भी पढ़ें :   दोस्ती की खुशियों और सीमाओं की कठोर दास्‍तान है- 'ब्यूटीफुल बीइंग्स'

नालसा के साथ सहयोगः इस कार्यक्रम के बाद, एक विमर्श सम्मेलन का आयोजन किया गया, जो वन-स्टॉप केंद्र के क्षमता निर्माण के लिये था। यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और नालसा का संयुक्त उपक्रम है। विधिक सेवा प्राधिकार (एलएसए) अधिनियम, 1987 के तहत महिलाओं तथा बच्चों सहित समाज के कमजोर वर्ग को निशुल्क और गुणवत्ता पूर्ण कानूनी सेवा प्रदान की जाती है, ताकि उन्हें न्याय पाने का समान अवसर मिले तथा किसी भी नागरिक को आर्थिक या अन्य कमजोरियों के कारण न्याय से वंचित न रहना पड़े। नालसा लोक अदालतों का भी आयोजन करता है, ताकि विधिक प्रणाली का कामकाज दुरुस्त रहे और समानता के आधार पर न्याय को प्रोत्साहन दिया जा सके। इस उद्देश्य के लिये, जिला/राज्य/राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकारों जैसे विधिक सेवा संस्थानों को तालुक अदालती स्तर से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक गठित किया गया है।

इसके अलावा, सरकार ने न्याय बंधु (निशुल्क विधिक सेवा) कार्यक्रम को कार्यान्वित किया है, ताकि एलएसए अधिनियम, 1987 की धारा 12 के तहत पात्र लोगों को निशुल्क विधिक सहायता मिल सके, जिसके लिये न्याय बंधु से वकीलों को जोड़ा गया है। टेली-विधिक कार्यक्रम के तहत एलएसए अधिनियम, 1987 की धारा 12 के अनुसार मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने के योग्य लोगों की सहायता की जायेगी। यह सहायता मुकदमा दायर होने की स्थिति से पूर्व पैनल में शामिल वकील प्रदान करेंगे। यह काम पंचायतों के स्तर पर 75 हजार सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के जरिये किया जायेगा।

यह भी तय किया गया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, नालसा के साथ मिलकर देशभर के ओएससी पदाधिकारियों के क्षमता निर्माण तथा प्रशिक्षण का काम करेगा, ताकि उन्हें महिलाओं को कानूनी सुरक्षा के प्रावधानों, नालसा तथा पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के जरिये महिलाओं को मुफ्त कानूनी सहायता दिलाने के बारे में जानकारी मिल सके। उन्हें यह भी प्रशिक्षण दिया जायेगा कि वे जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सहयोग से अपने-अपने क्षेत्रों में कैसे काम करें तथा महिलाओं को कानूनी सलाह लेने में कैसे सहायता की जा सकती है। ओएससी पदाधिकारी महिलाओं और लड़कियों को केंद्र तक आने में मदद करेंगे तथा उनके विषय में जो कानून है, उससे उन्हें अवगत करायेंगे।

एक ठोस सहयोगात्मक कार्य योजना के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। यह कार्य योजना एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता पर बल देती है, जिसके तहत मुसीबत भरे हालात में फंसी महिलाओं की मदद करने, सम्बंधित प्रक्रियाओं में सुधार लाने, क्षमता निर्माण करने आदि काम किये जायेंगे। कार्यक्रम का आमूल उद्देश्य था महिलाओं के लिये सुरक्षित माहौल, सुरक्षित जीवन और उनके मनोवैज्ञानिक आरोग्य को बढ़ावा देना।

 

***
 

एमजी/एएम/एकेपी