केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज गुजरात के सूरत में सुमुल डेयरी की विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति और उत्साह इस बात का प्रमाण है कि गुजरात में सहकारी ढांचा कितना मजबूत है

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हर विषय को नए दृष्टिकोण से देखने की कोशिश की है और आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष को संकल्प के वर्ष के रूप में मनाने का प्रयास किया जा रहा है

 

यह देश के हर क्षेत्र में एक संकल्प लेने का वर्ष है जब देश स्वतंत्रता के 100 वर्ष मनाएगा और

प्रधानमंत्री ने 130 करोड़ नागरिकों से स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के वर्ष को एक

संकल्प वर्ष के रूप में मनाने का आह्वान किया है

 

प्रधानमंत्री ने हर क्षेत्र में भारत को दुनिया में सबसे अग्रणी रखने का प्रयास किया है, चाहे बात देश की रक्षा की हो या अर्थव्यवस्था को गति देने की हो

 

हमारा लक्ष्य सभी सहकारी आंदोलनों के कार्यकर्ताओं के लिए सहकारिता आंदोलन को मजबूत

करना और स्वतंत्रता के 100वें वर्ष में इसे विश्व का सबसे मजबूत सहकारी

आंदोलन बनाना है

 

सुमुल की यात्रा 200 लीटर से प्रारंभ होकर 20 लाख लीटर तक पहुँच चुकी है जिसमें दूध उत्पादक जनजातीय पुरुषों और महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है

 

आज जनजातीय पुरुषों और महिलाओं की कड़ी मेहनत और लगन के कारण प्रतिदिन 7 करोड़ रुपये के दूध की बिक्री होती है और इस राशि को 2.5 लाख सदस्यों के बैंक खातों में सीधे स्थानांतरित करने की व्यवस्था की गई है

 

कौन सोच सकता है कि एक या दो एकड़ में खेती करने वाली जनजातीय महिलाओं के बैंक

खातों में हर दिन पैसा जमा होता है, यह सहकारी सिद्धांत का चमत्कार है, सहकारी

आंदोलन का चमत्कार है, सहकारी प्रणाली का चमत्कार है

 

2014 में, प्रधानमंत्री ने कहा था कि 2022 आजादी की 75वीं वर्षगांठ होगी और हमें 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ना है

 

कृषि को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार दिल्ली से हर

वर्ष देश के 13 करोड़ किसानों के बैंक खातों में सीधे 6,000 रुपये भेजती है

और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रही है

 

सहकारिता मंत्रालय के कारण प्राथमिक कृषि समितियां, दुग्ध उत्पादक संघ, एपीएमसी, मछुआरा

भाई संघ, श्रमिक संघ, सहकारी क्षेत्र में कार्यरत लघु औद्योगिक संघ आदि

को मजबूती मिली है

 

श्री नरेन्द्र मोदी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना कर सहकारिता आंदोलन को मजबूत

करने का काम किया है

 

सरदार पटेल, त्रिभुवन भाई, भाई काका, वैकुंठभाई मेहता ने गुजरात में एक मजबूत सहकारी आंदोलन की नींव रखी और आज अमूल उस नींव पर खड़ा है

 

अमूल का ब्रांड 53,000 करोड़ रुपये के कारोबार के साथ एक वैश्विक ब्रांड बन चुका है, यह सहकारिता आंदोलन की ताकत को दर्शाता है

 

नरेन्द्र मोदी सरकार आने वाले दिनों में सभी प्राथमिक कृषि समितियों को सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य कर रही है

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को साकार करने में सहकारी क्षेत्र आने वाले दिनों में इसमें सबसे अधिक योगदान देगा

 

यदि सहकारिता क्षेत्र मजबूत होगा तो गरीब मजबूत होगा, किसान मजबूत होगा, देश की ग्रामीण महिलाएं होंगी मजबूत

 

सुमुल ने 11 जिलों में कुपोषण समाप्त करने का कार्य प्रारंभ किया है और सहकारिता की भावना से इस मिशन को पूरा किया जा रहा है

 

सहकारिता आंदोलन, आत्मनिर्भर खेती, आत्मनिर्भर गांव और आत्मनिर्भर राज्य और आत्मनिर्भर भारत- इसी मंत्र से संचालित हो रहे हैं

 

श्री मोदी ने प्राकृतिक कृषि पर अत्यंत बल दिया है क्योंकि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता घट रही है

 

प्राकृतिक कृषि से न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा और कैंसर, रक्तचाप, मधुमेय जैसे रोगों से मुक्ति मिलेगी

 

मैं गुजरात के किसानों से अपील करना चाहता हूं कि वह प्राकृतिक कृषि का अध्ययन करें, इसे सीखें, इसे स्वीकार करें और इसे अपने खेतों में उपयोग में लाऐं

 

आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में इस अभियान के संचालन से हम न केवल पृथ्वी और पर्यावरण की रक्षा करेंगे, बल्कि किसानों की समृद्धि भी बढ़ाएंगे

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज गुजरात के सूरत में सुमुल डेयरी की विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री श्रीमती दर्शन जरदोश और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

यह भी पढ़ें :   समाचारों के सम्‍प्रेषण में गति के मुकाबले सटीकता अधिक महत्वपूर्ण है और यह बात संचारकों के मस्तिष्‍क में मुख्‍य रूप से होनी चाहिए : केंद्रीय मंत्री श्री अनुराग ठाकुर

 

इस अवसर पर अपने संबोधन में, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज दक्षिण गुजरात के तापी जिले में ऐतिहासिक सहयोग सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति और उत्साह इस बात का प्रमाण है कि गुजरात में सहकारी ढांचा कितना मजबूत है।

श्री अमित शाह ने कहा कि यह देश की आजादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है। भारत की आजादी को 75 वर्ष बीत चुके हैं और आजादी का 75वां वर्ष किसी भी देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हर विषय को एक नए दृष्टिकोण से देखने का प्रयास किया है। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव वर्ष को राष्ट्र के लिए संकल्प के वर्ष के रूप में मनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह देश के हर क्षेत्र में संकल्प लेने का वर्ष है कि स्वतंत्रता के 100वें वर्ष के बाद देश किन ऊंचाईयों पर होगा। प्रधानमंत्री ने 130 करोड़ लोगों से आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष को एक संकल्प वर्ष के रूप में मनाने का आह्वान किया है। श्री शाह ने कहा कि चाहे वह देश की सुरक्षा का विषय हो या देश की अर्थव्यवस्था को गति देने का विषय हो, चाहे नई शिक्षा नीति के माध्यम से आमूलचूल परिवर्तन लाना हो, देश के सूक्ष्म व्यवसायों को समृद्ध बनाना हो, स्वयं सहायता समूहों और प्रत्येक नागरिक को समृद्ध बनाना हो या देश के युवाओं को विश्व पटल पर स्थापित करना हो प्रधानमंत्री ने हर क्षेत्र में भारत को दुनिया में सबसे अग्रणी रखने का प्रयास किया है। हमारा लक्ष्य सभी सहकारी समितियों के कार्यकर्ताओं के लिए सहकारिता आंदोलन को मजबूत करना और स्वतंत्रता के 100वें वर्ष में इसे विश्व का सबसे मजबूत सहकारी आंदोलन बनाना है।

 

केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि 71 वर्ष पहले प्रारंभ हुई सुमूल की यात्रा 200 लीटर से शुरू होकर आज 20 लाख लीटर तक पहुंची है, जिसमें दूध उत्पादक जनजातीय पुरुषों और महिलाओं का बहुत योगदान है। आज जनजातीय महिलाओं की कड़ी मेहनत और लगन के दम पर रोजाना 7 करोड़ रुपये के दूध की बिक्री होती है और 2.5 लाख सदस्यों के बैंक खातों में सीधे 7 करोड़ रुपये हस्तांतरण करने की व्यवस्था की गई है। कौन सोच सकता है कि एक से दो एकड़ जमीन पर खेती करने वाली जनजातीय महिलाओं के बैंक खाते में हर दिन पैसा जमा होता है। यह सहकारिता के सिद्धांत का चमत्कार है, सहकारिता आंदोलन का चमत्कार है। यह एक सहकारी प्रणाली का चमत्कार है जो गुजरात में और अमूल के तत्वावधान में श्री त्रिभुवन पटेल के प्रयास और शक्ति द्वारा स्थापित किया गया है।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि देश की आजादी के 75वें वर्ष में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की है। प्रधानमंत्री ने 2014 में कहा था कि 2022 आजादी की 75वीं वर्षगांठ होगी और हमें 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ना है। आज मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि प्रधानमंत्री ने उस दिशा में बहुत से कार्य किये हैं। कृषि को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने दिल्ली से हर वर्ष 13 करोड़ किसानों के बैंक खातों में सीधे 6,000 रुपये भेजे हैं और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी क्षेत्र में कार्यरत कई प्राथमिक कृषि समितियों, दुग्ध उत्पादक संघों, एपीएमसी, मछुआरे भाइयों के संघों, ट्रेड यूनियनों, छोटे औद्योगिक संघों की स्थापना की है। श्री नरेन्द्र मोदी ने सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की है। सहकारिता आंदोलन से जुड़े पुरुषों और महिलाओं एवं यहां उपस्थित सभी लोगों से मैं कहना चाहता हूं कि सहकारिता मंत्रालय के गठन के फैसले के लिए आओ हम तालियों की गड़गड़ाहट से श्री मोदी का धन्यवाद करें।

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि गुजरात के लोगों ने सहकारिता का चमत्कार देखा है। सरदार पटेल, त्रिभुवन भाई, भाई काका, वैकुंठभाई मेहता ने गुजरात में एक मजबूत सहकारी आंदोलन की नींव रखी और आज अमूल उस नींव पर खड़ा है। अमूल का ब्रांड 53,000 करोड़ रुपयों के कारोबार के साथ एक वैश्विक ब्रांड बन गया है, जो सहकारिता आंदोलन की ताकत को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि दक्षिण गुजरात के किसान समृद्ध हुए हैं और सहकारी आंदोलन के माध्यम से चलने वाली सहकारी चीनी मिलों ने इसमें बहुत योगदान दिया है। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि देश में चीनी मिलों की सबसे अच्छी प्रणाली गुजरात में है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सहकारिता क्षेत्र के लिए बजट में कई सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। चीनी मिलों से जुड़े लोग 40 वर्ष से आयकर और 8,000 करोड़ रुपये की देनदारी से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष कर रहे थे, जिसे प्रधानमंत्री द्वारा तुरंत समाप्त कर दिया गया। उन्होंने सभी सहकारी उत्पादन संस्थानों के उद्योग कर को समान कर दिया। नरेन्द्र मोदी सरकार आगामी दिनों में सभी प्राथमिक कृषि समितियों को सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य कर रही है। 900 करोड़ रुपयों से अधिक के बजट के साथ नरेन्द्र मोदी सरकार ने मूलभूत सुविधाओं के लिए सहकारिता विभाग का गठन किया है। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना है और आगामी दिनों में सहकारिता क्षेत्र इसमें सबसे ज्यादा योगदान देगा। जब सहकारी क्षेत्र का योगदान बढ़ता है, उद्योग क्षेत्र का योगदान बढ़ता है तो लाखों करोड़ों लोगों को लाभ होता है। अगर सुमूल समृद्ध है तो 2.5 लाख लोगों को लाभ होगा और अगर निजी डेयरी मजबूत होगी तो सिर्फ पांच लोगों को ही लाभ होगा। अगर सहकारी क्षेत्र मजबूत होगा तो गरीब आदमी मजबूत होगा, किसान मजबूत होगा, देश की पशुचारक महिलाएं मजबूत होंगी।

यह भी पढ़ें :   भारतीय लोकतंत्र को विदेशी संस्थाओं से प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है - उपराष्ट्रपति

श्री अमित शाह ने कहा कि सुमूल ने 11 जिलों में कुपोषण को समाप्त करने के अभियान का शुभारंभ किया है और इसे सहकारिता की भावना के साथ किया जा रहा है। आपने लगभग 20,000 आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों और लड़कियों को कुपोषण से मुक्त कर सहकारिता की भावना की ज्वलंत मिसाल पेश की है।

 

सहकारिता आंदोलन, आत्मनिर्भर कृषि, आत्मनिर्भर ग्राम और आत्मनिर्भर राज्य एवं आत्मनिर्भर भारत- इसी मूल मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने प्राकृतिक कृषि पर बहुत जोर दिया है क्योंकि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है। प्राकृतिक कृषि से न केवल भूमि की उर्वरता में सुधार होगा, लोगों का स्वास्थ्य भी सुधरेगा और कैंसर, रक्तचाप, मधुमेह जैसे रोगों से प्रभावित नहीं होगें। आज जब आप इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित हैं तो मैं निश्चित रूप से कहूंगा कि प्राकृतिक कृषि ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। प्राकृतिक कृषि में लगे किसानों की आय बढ़ाने की जिम्मेदारी सहकारिता मंत्रालय, श्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और गुजरात सरकार की भी है। अमूल के तत्वावधान में जैविक कृषि के उत्पाद को अच्छी कीमत दिलाने के लिए एक तंत्र शुरू किया गया है। उत्पाद की विश्वसनीयता, वैज्ञानिक परीक्षण, गुणवत्ता, प्रमाणन, विपणन के लिए विश्व बाजार में अपना माल बेचना- यह सब करना है, तो पूरा वैज्ञानिक ढांचा और श्रृंखला बनानी होगी और इसके लिए अमूल ने प्राथमिकता दर्शायी है। यह ढांचा एक वर्ष के भीतर तैयार किया जाएगा और इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्राकृतिक कृषि में कार्य कर रहे किसानों को उनके उत्पादों का अच्छा दाम मिले।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वह गुजरात के किसानों से अपील करना चाहते हैं कि वह प्राकृतिक कृषि का अध्ययन करें, इसे जानें, इसे स्वीकार करें और इसे अपने खेतों में उपयोग में लाऐं। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव वर्ष में इस अभियान को चलाऐं, इससे हम न केवल पृथ्वी और पर्यावरण की रक्षा करेंगे, बल्कि किसानों की समृद्धि भी बढ़ाएंगे और इसके साथ ही 130 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य में सुधार की जिम्मेदारी भी हम पर है। हम लोगों को रसायन मुक्त खाद्यान्न, रसायन मुक्त भोजन, रसायन मुक्त फल, रसायन मुक्त सब्जियां उपलब्ध कराने में पूरी तरह सफल होंगे। मुझे विश्वास है कि श्री मोदी का समृद्ध और स्वस्थ भारत का स्वप्न शीघ्र ही साकार होगा।

***

एमजी/एएम/एसएस