फरवरी 2022 में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) का कार्यनिष्पादन

राष्ट्र और उसके नागरिकों की सेवा में रेलवे सुरक्षा बल के समर्पण को तीन शब्दों- सुरक्षा, सतर्कता, सेवा के रूप में बताया जा सकता है। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को रेलवे संपत्ति, यात्री क्षेत्र, यात्रियों और उससे जुड़े मामलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वे जरूरतमंद यात्रियों को सहायता भी प्रदान करने के साथ-साथ देखभाल और सुरक्षा की जरूरत वाली महिलाओं और बच्चों का बचाव भी करते हैं।

संकटग्रस्त मानव जीवन को बचाना भले हमारा आदेशित कर्तव्य नहीं हो, लेकिन यह प्रत्येक नागरिक के लिए परमात्मा द्वारा निर्धारित एक कर्तव्य है। “वर्दी में नागरिक” होने के नाते हमारे कार्मिक अन्य लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर कर्तव्य की पुकार से भी आगे जाते हैं। ऐसी घटनाएं होती हैं जिनमें यात्री चलती ट्रेन में चढ़ने/उतरने का प्रयास करते हैं और ट्रेन के पहियों के नीचे आने के जोखिम के साथ फिसल जाते हैं। मिशन “जीवन रक्षा” के तहत आरपीएफ कार्मिकों ने अपनी जान जोखिम में डालकर फरवरी 2022 के दौरान 62 (35 पुरुष + 27 महिला) और 2022 के दौरान 114 लोगों की जान बचाई।

रेलवे के संपर्क में आने वाले संकटग्रस्त बच्चों के शोषण या तस्करी की संभावना अधिक होती है। शोषण के चरण से पहले पीड़ित बच्चे का परिवहन होता है। एक बार जब बच्चे का शोषण हो जाता है, तो पुनर्वास का कोई भी उपाय, चाहे वह कितना भी प्रभावी क्यों न हो, शोषण के कारण उसके मानस पर लगे निशानों को मिटा नहीं सकता है। शोषणकर्ताओं के हाथों में पड़ने से पहले बच्चे को सुरक्षित करने के लिए आरपीएफ रणनीतिक रूप से तैनात है। बाल संरक्षण और बचाव के लिए आरपीएफ की रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाने के लिए, हमने “ऑपरेशन नन्हे फरिस्ते” शुरू किया है। आरपीएफ उन बच्चों की पहचान करने और उन्हें बचाने का नेक कार्य करता है जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता होती है जो विभिन्न कारणों से अपने परिवार से खो जाते हैं या अलग हो जाते हैं। फरवरी 2022 के महीने के दौरान, देखभाल और सुरक्षा की जरूरत वाले भारतीय रेलवे के संपर्क में आए 1156 बच्चों (787 लड़के + 369 लड़कियां) को गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से समुचित कार्रवाई द्वारा बचाव किया गया। आरपीएफ ने 2022 में 1488 लड़कों और 713 लड़कियों (कुल 2201 नाबालिगों) का बचाव किया है।

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आरपीएफ कार्मिक, विशेष रूप से महिला आरपीएफ कार्मिक, जो फिलहाल बल में लगभग 9 प्रतिशत हैं, “ऑपरेशन मातृशक्ति” के तहत गर्भवती महिलाओं की बढ़-चढ़कर मदद करती हैं, जो अपनी ट्रेन यात्रा के दौरान प्रसव पीड़ा से गुजरती हैं और शिशु को जन्म देती हैं। फरवरी-2022 के महीने में महिला आरपीएफ कार्मिकों ने 09 ऐसी महिला यात्रियों को सहायता प्रदान की और उनके बच्चों को इस खूबसूरत दुनिया में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमने 2022 में ऐसे 16 मामलों में मदद की है।

कई यात्री ट्रेन पकड़ने या स्टेशन से निकलने की हड़बड़ी में अपना सारा सामान ले जाना भूल जाते हैं। आरपीएफ कार्मिक ऐसे सामान को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं और उन्हें “ऑपरेशन अमानत” के तहत सही मालिकों तक पहुंचाते हैं। आरपीएफ ने फरवरी 2022 में इस ऑपरेशन के तहत 1746 यात्रियों को 2.93 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के सामान वापस दिलाए। 2022 में, हमने उनके असली मालिकों को 5.74 करोड़ रुपये का सामान वापस कर दिया है।

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नारकोटिक्स सामग्री को अवैध रूप से एक जगह से दूसरी जगह ले जाना राष्ट्र के खिलाफ एक गंभीर अपराध है। हमने भारतीय रेलवे को नशीले पदार्थों की तस्करी का अड्डा नहीं बनने देने के लिए हर संभव प्रयास करने का संकल्प लिया है। रेल के माध्यम से नशीले पदार्थों की तस्करी के खिलाफ अभियान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, आरपीएफ ने “ऑपरेशन नार्कोस” शुरू किया है। इस ऑपरेशन के तहत, आरपीएफ ने फरवरी 2022 माह के दौरान 67 व्यक्तियों की गिरफ्तारी के साथ 2.28 करोड़ रुपये के नारकोटिक उत्पादों को बरामद किया है। वर्ष 2022 में 248 व्यक्तियों की गिरफ्तारी के साथ जब्ती का आंकड़ा 3.82 करोड़ रुपये को पार कर गया है।

आरपीएफ कार्मिकों का मानना है कि व्यापक संपर्क वाले क्षेत्रों में उनकी तैनाती को लेकर उनके लिए आवश्यक सॉफ्ट स्किल्स और सेवा उन्मुखीकरण होना अनिवार्य है। यात्रियों की प्रतिक्रिया के आधार पर, हम देश और उसके नागरिकों को बेहतर मदद करने के लिए अपने कौशल और निष्पादन को लगातार बेहतर तथा उन्नत करने में जुटे हैं।

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