विद्युत मंत्रालय ने बिजली उत्पादन के लिए पर्याप्त कोयले की उपलब्धता हेतु समयबद्ध कार्रवाई करने के लिए परिपत्र जारी किया

   विद्युत मंत्रालय देश में कोयला आपूर्ति की स्थिति की निगरानी कर रहा है और उसने कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) और कैप्टिव कोयला खदानों से प्राप्त घरेलू कोयले के आधार पर पर्याप्त कोयला आपूर्ति और कोयला भंडार सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं।

      राज्य जेनकोस, आईपीपी और सेंट्रल जेनकोस के परामर्श से बिजली मंत्रालय में लिए गए निर्णय के अनुसार, घरेलू कोयला आपूर्ति सभी जेनकोस के लिए सीआईएल/ एससीसीएल से प्राप्त कोयले की समानुपाती बनायी जाएगी और किसी भी कमी को पूरा करने के लिए समानुपातिक आधार के अतिरिक्त अन्य कोयला देना संभव नहीं होगा।।

                विद्युत मंत्रालय ने घरेलू कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कार्रवाइयों को प्राथमिकता के आधार पर करने का निर्देश देते हुए एक परिपत्र जारी किया है:-

                यह देखा गया है कि राज्यों में कुछ आयातित कोयला आधारित (आईसीबी) संयंत्रों के गैर-संचालन ने घरेलू कोयले की मांग पर अधिक दबाव डाला था जिससे घरेलू कोयला आधारित (डीसीबी) संयंत्रों के लिए कोयले का स्टॉक कम हो गया था।

     खरीददार और विक्रेता, दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित पीपीए द्वारा कानूनी रूप से बाध्य हैं। जहां खरीददार पीपीए के अनुसार समय पर बिलों का भुगतान करने के लिए बाध्य हैं, जेनकोस (विक्रेता) पर्याप्त ईंधन स्टॉक बनाए रखने और पीपीए के अनुसार उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बाध्य हैं। पर्याप्त ईंधन स्टॉक नहीं रखना या किसी भी बहाने उपलब्धता सुनिश्चित न करना (जैसे आयातित कोयले की उच्च कीमत आदि) अक्षम्य माना जाएगा। विक्रेता की तरफ से इस तरह के आचरण का राज्य सरकार के स्तर पर सभी संभावित संविदात्मक और अन्य उपलब्ध कानूनी युक्तियों का उपयोग करके क्रेता द्वारा तुरंत सख्ती से प्रतिक्रिया दी जानी चाहिए। यदि विक्रेता की ओर से कोई धोखाधड़ी पायी जाती है जैसे कि पीपीए के तहत बिजली की आपूर्ति नहीं करना और बाजार में बिक्री करना, तो तत्काल हस्तक्षेप के लिए बिजली मंत्रालय को सूचित करते हुए बिना किसी देरी के इसे नियामकीय आयोग के संज्ञान में लाया जाना चाहिए।

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       बहरहाल, ऐसा समझा जाता है कि इंडोनेशियाई विनियमों में बदलाव और अंतरराष्ट्रीय कोयले की कीमतों में वृद्धि के कारण आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के सामने पीपीए में कुछ समस्याएं आ रही हैं। इन मुद्दों को भी आपसी बातचीत के आधार पर न्यायसंगत और पारदर्शी तरीके से हल करने की आवश्यकता है।

    इसलिए, राज्य आवश्यक संविदात्मक युक्तियों के द्वारा आईसीबी संयंत्रों के साथ पीपीए के कार्यान्वयन को सुनिश्चित कर सकते हैं या असाधारण परिस्थितियों में उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए विद्युत अधिनियम 82003 के वैधानिक प्रावधानों का उपयोग कर सकते हैं और अंतर-राज्यीय संयंत्र के मामले में आवश्यक किसी भी हस्तक्षेप के लिए विद्युत मंत्रालय से संपर्क कर सकते हैं।

     भारत सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने और विद्यमान बिजली संयंत्रों में बिजली उत्पादन के लिए कोयले की निर्भरता को कम करने के लिए निम्नलिखित पहल की है: –

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          इससे न केवल कोयले पर निर्भरता कम होगी बल्कि सस्ती बिजली भी मिलेगी क्योंकि इस योजना में पीपीए धारक वितरण कंपनियों के साथ लागत बचत साझा करने की परिकल्पना की गई है। केंद्रीय क्षेत्र की उत्पादन कंपनियों एनटीपीसी और डीवीसी को इस योजना को प्राथमिकता के आधार पर कार्यान्वित करने का निर्देश दिया गया है। इसलिए, यह अनिवार्य है कि वितरण कंपनियां इस पहल के कार्यान्वयन को सुगम बनाएं।

     बिजली की बढ़ती मांग तथा सुचारू कामकाज सुनिश्चित करने के लिए कोयले की संबंधित आवश्यकता को देखते हुए, एक अल्प अवधि उपाय के रूप में, विद्युत मंत्रालय ने 07.12.2021 को घरेलू कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को राज्य जेनकोस और स्वतंत्र बिजली उद्पादकों (आईपीपी) द्वारा 4 प्रतिशत की सीमा तक आयातित कोयले के साथ मिश्रित करने के द्वारा उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए कोयला आयात करने के लिए परामर्श जारी किया था। आग्रह किया जाता है कि मांग मूल्यांकन के आधार पर मिश्रण उद्देश्य के लिए तथा कोयले की उपलब्धता में किसी भी कमी से निपटने के लिए पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी तरीके से कोयले का आयात करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए।

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