उपराष्ट्रपति ने स्कूलों और अभिभावकों से बच्चों को उनकी पसंदीदा कला सीखने के लिए प्रोत्साहित करने की अपील की

उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडु ने आज भारत की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने तथा बढ़ावा देने के हिस्सों के रूप में विद्यालयों तथा अभिभावकों से बच्चों को उनकी पसंद के किसी भी कला रूप को सीखने के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। अपनी जड़ों की ओर वापस लौटने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने भारतीय समाज में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की अपील की।

उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि कठपुतली नृत्य जैसे हमारे समृद्ध लोक कला रूप पश्चिमी संस्कृति की लालसा के कारण विलुप्त होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका पुनरोत्थान न केवल सरकार की बल्कि कुल मिला कर समाज की सक्रिय भागीदारी के साथ किया जाना चाहिए। यह टिप्पणी करते हुए कि आरंभिक उम्र में रचनात्मकता तथा कला का व्यावहारिक अनुभव बच्चों को उनके वातावरण के प्रति अधिक जागरूक होने तथा अधिक सार्थक जीवन जीने में उनकी सहायता करेगी, श्री नायडु ने इच्छा जताई कि शैक्षणिक संस्थान अपने पाठ्यक्रमों में कला विषयों को समान महत्व प्रदान करें।

उपराष्ट्रपति संगीत नाटक अकादमी तथा ललित कला अकादमी फेलोशिप के साथ साथ 2018 के अकादमी पुरस्कार तथा कला पुरस्कारों की 62वीं राष्ट्रीय प्रदर्शनी के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने विभिन्न कलाकारों को प्रदर्शन कलाओं तथा ललित कलाओं के क्षेत्र में योगदान देने के लिए सम्मान प्रदान किया।

The Vice President, Shri M. Venkaiah Naidu presenting the Sangeet Natak Akademi and Lalit Kala Akademi Awards and Fellowships at Vigyan Bhavan today. #AkademiAwards pic.twitter.com/pnT398VHjp

‘आजादी का अमृत महोत्सव‘ समारोहों को संदर्भित करते हुए, श्री नायडु ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम में कई गुमनाम नायकों ने अपना बलिदान दिया लेकिन आम लोगों को व्यापक रूप से उनकी कहानियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है क्योंकि उन्हें हमारे इतिहास की पुस्तकों में पर्याप्त स्थान नहीं दिया गया। उन्होंने इन कमियों को दूर करने और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इन कम ज्ञात नायकों द्वारा दिए गए योगदान को उजागर करने का आह्वान किया।

यह भी पढ़ें :   केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री, श्री अमित शाह ने आज गुजरात के केवड़िया में ‘न्यायालयिक विज्ञान क्षमताएं: समयबद्ध और वैज्ञानिक जांच के लिए सुदृढ़ीकरण’ विषय पर गृह मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की बैठक की अध्यक्षता की

स्वाधीनता संघर्ष के दौरान देशभक्ति की भावनाओं को को जगाने में विजुअल तथा प्रदर्शन कलाओं की भूमिका का स्मरण करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि ब्रिटिश उत्पीड़न की कहानियों को प्रभावी ढंग से कहने के लिए कला को एक ‘शक्तिशाली राजनीतिक अस्त्र‘ के रूप में उपयोग में लाया गया था। उन्होंने स्मरण किया कि किस प्रकार उग्र देशभक्ति गानों तथा रविंद्रनाथ टैगोर, सुब्रमण्यम भारती, काजी नजरुल इस्लाम तथा बंकिम चंद्र चटर्जी की कविताओं ने आम लोगों के बीच राष्ट्रवाद की मजबूत भावनाओं को प्रेरित किया। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘शक्तिशाली कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से हमारे स्वधीनता सेनानियों का योगदान हमारे स्वतंत्रता संग्राम का अभिन्न अंग है तथा इसे भुलाया नहीं जाना चाहिए।‘‘

‘‘हमारे समृद्ध अतीत को वर्तमान और भविष्य के साथ जोड़ने वाले निरंतरता के धागे को सुदृढ़ करने‘‘  में कलाकारों के योगदान की सराहना करते हुए श्री नायडु ने कहा कि कला विभिन्न प्रकार की संस्कृतियों में लोगों को एकजुट करती है, प्रभावित करती है तथा उन्हें प्रेरित करती है और इस प्रकार प्रक्रिया में बदलाव का एक शक्तिशाली एजेंट बन जाती है। उन्होंने कहा, ‘‘यह हम में से प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि हम हमारी सांस्कृतिक परंपराओं तथा कला रूपों को संरक्षित करें तथा उन्हें बढ़ावा दें।‘‘

यह भी पढ़ें :   भारत-चीन कोर कमांडर स्तरीय बैठक के 12वें दौर पर जारी संयुक्त प्रेस वक्तव्य

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में अति परिष्कृत कला की एक भव्य परंपरा है जो प्राचीन ग्रंथों में वर्णित सिद्धांतों द्वारा समर्थित हैं। श्री नायडु ने दृश्य और प्रदर्शन कलाओं को संरक्षित करने की अपील की जिसके बारे में उन्होंने कहा कि ‘वे राष्ट्र की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के साथ गुंथी हुई हैं और हमारी राष्ट्रीय पहचान को आकार देती हैं।‘‘

इस अवसर पर, उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की लोक कथाओं की समृद्ध परंपरा एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है और इस पर अविलंब कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि समय के व्यतीत होने के साथ लोक परंपराओं के विभिन्न रूपों में गिरावट आई है और ‘‘हमारी महान लोक परंपराओं को संरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करने की जिम्मेदारी हम पर है। ‘‘

इस अवसर पर केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति तथा उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी, संगीत नाटक अकादमी तथा ललित कला अकादमी की अध्यक्ष श्रीमती उमा नंदूरी, संगीत नाटक अकादमी की सचिव श्रीमती तेमसुनारो जमीर, ललित कला अकादमी के सचिव श्री रामकृष्ण वेडाला, वाणिज्य मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती संजुक्ता मुद्गल, विख्यात कलाकार तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

भाषण का मूल पाठ पढ़ने के लिए कृपया यहां क्लिक करें:

 

*****

एमजी/एएम/एसकेजे/डीवी