10,000 एफपीओ के गठन और संवर्धन की केन्‍द्रीय क्षेत्र की योजना के अंतर्गत क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (सीबीबीओ) का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (सीबीबीओ) की भूमिका किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को मजबूत करने की होनी चाहिए ताकि किसान उन्‍हें खोजें और पाएं। एफपीओ केवल एक कंपनी नहीं है, यह किसानों के लाभ के लिए एक सामूहिक संस्‍था है। क्लस्टर आधारित व्यापार संगठनों (सीबीबीओ) के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में केन्‍द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने कहा कि अधिक से अधिक किसान एफपीओ का हिस्सा बनें। श्री तोमर ने कहा कि पहले लगभग 7,000 एफपीओ बनाए गए थे लेकिन वे टिक नहीं पाए और प्रधानमंत्री द्वारा 6865 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक नई एफपीओ योजना का शुभारंभ किया गया था। ऐसे समय में जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, सरकार किसानों की समृद्धि के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। केन्‍द्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी ने भी कहा कि किसानों को एफपीओ में शामिल होने के लिए उत्साहित होना चाहिए। सम्मेलन में केन्‍द्रीय कृषि मंत्री ने 10,000 एफपीओ योजना के लिए प्रतीक चिन्‍ह का भी शुभारंभ किया।

भारतीय कृषि में छोटे और सीमांत किसानों का वर्चस्व है, जिनकी औसत जोत का आकार 1.1 हेक्टेयर से कम है। कुल भूमि जोत के 86% से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को उत्पादन और उत्पादन के बाद के परिदृश्यों जैसे उत्पादन टेक्‍नोलॉजी तक पहुंच, उचित कीमतों पर गुणवत्‍तापूर्ण साजो-सामान, बीज उत्पादन, खेती की मशीनरी की इकाई, मूल्य वर्धित उत्‍पाद, प्रसंस्करण, ऋण, निवेश और सबसे महत्वपूर्ण बाजार दोनों में जबरदस्त चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस प्रकार, एफपीओ के गठन के माध्यम से ऐसे उत्पादकों का सामूहिकीकरण ऐसी चुनौतियों का समाधान करने और उनकी आय बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। देश भर में एफपीओ बनाने और उन्‍हें बढ़ावा देने की आवश्यकता महसूस करते हुए, सरकार ने एक समर्पित केन्‍द्रीय क्षेत्र की योजना “10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन तैयार की और इसे कार्यान्वयन के लिए माननीय प्रधानमंत्री ने 29.02.2020 को चित्रकूट (यूपी) में शुरू किया था।

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यह योजना उत्पादन, उत्पादकता, बाजार पहुंच, विविधीकरण, मूल्य वर्धित, प्रसंस्करण और निर्यात को बढ़ावा देने और किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से कृषि आधारित रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए कृषि उत्पादन समूह दृष्टिकोण पर आधारित है।

वित्तीय लाभ और तकनीकी सहायता के लिए योजना के तहत पात्र होने के लिए एफपीओ को कंपनी कानून, 2013 या राज्य सहकारी समिति कानून के तहत पंजीकृत होना आवश्यक है, जिसमें मैदानी क्षेत्रों में न्यूनतम 300 किसान और पहाड़ी और पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में 100 किसान हों। इस योजना के अंतर्गत उन्हें स्थिर और आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए प्रबंधन लागत के रूप में 3 साल के लिए अधिकतम 18.00 लाख रुपये प्रति एफपीओ की वित्तीय सहायता देने का प्रावधान है। एफपीओ के वित्तीय आधार को मजबूत करने और उन्हें प्रमाणित करने वाले मुफ्त ऋण प्राप्त करने के लिए, अधिकतम 2000 रुपये प्रति सदस्य समान हिस्‍से की आर्थिक मदद का प्रावधान है। इसमें 15 लाख रुपये/एफपीओ और क्रमशः 2.00 करोड़ रुपये की बैंक योग्य परियोजना ऋण गारंटी सुविधा है।

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इस योजना के तहत सीबीबीओ को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली पेशेवर एजेंसी के रूप में प्रबंधित किया गया है क्योंकि उन्‍हें किसानों को एकजुट करने, आधारभूत सर्वेक्षण, उपज समूहों की पहचान, समूहों के गठन, पंजीकरण और क्षमता निर्माण से लेकर व्यापार योजना तैयार करने, एफपीओ को बाजार उपलब्ध कराने के आश्वासन के साथ उसके कार्यान्‍वयन तक मूल्य श्रृंखला के साथ खुद को संलग्न करना होगा। उन्हें कार्यान्वयन एजेंसियों और एफपीओ के साथ बुनियादी सम्‍पर्क भी स्थापित करना है।

प्रगति:

सीबीबीओ के महत्व को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन करते हैं और उनके क्षेत्र स्तर के कार्यान्वयन के मुद्दों को समझने के लिए, 13 कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा पैनल में शामिल 265 सीबीबीओ के प्रतिनिधियों को आज के सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था। सभी 13 कार्यान्वयन एजेंसियों, एफपीओ से निपटने वाली राज्‍य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया था।4,900 से अधिक उत्पाद क्लस्टर आवंटित किए गए हैं और 2331 एफपीओ पंजीकृत किए गए हैं।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को एसएफएसी की प्रबंध निदेशक सुश्री नीलकमल दरबारी, नाबार्ड के अध्‍यक्ष डॉ. जी.आर. चिंतला,  अपर सचिव, कृषि डॉ. अभिलक्ष लिखी, और संयुक्त सचिव (नीति और विपणन) डॉ. विजया लक्ष्मी नडेंदला, ने भी संबोधित किया।

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एमजी/एएम/केपी