स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 ने शहरों को पूरी तरह से कचरा-मुक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय व्यवहार परिवर्तन संम्प्रेषण फ्रेमवर्क लॉन्च किया

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 ने शहरों को पूरी तरह से कचरा-मुक्त बनाने के लिए चल रहे जन आंदोलन ‘कचरा मुक्त शहर’ को और प्रभावी बनाने के लिए ‘राष्ट्रीय व्यवहार परिवर्तन संम्प्रेषण फ्रेमवर्क’ लॉन्च किया है।

शहरी भारत ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक सामाजिक क्रांति देखी है। यह बदलाव माननीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 15 अगस्त 2014 को अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण के दौरान देश के एक सौ तीस करोड़ नागरिकों को विकास के लिए ‘स्वच्छ भारत’ की जरूरत के आह्वान के बाद आया है। पिछले सात वर्षों में, स्वच्छता के लिए सरकार की यह नीति दुनिया का सबसे बड़ा व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम बन गया है जो टिकाऊ शहरीकरण, चक्रिय अर्थव्यवस्था, पुन: उपयोग, घटाना, प्रयोग की गयी वस्तु का पुनः प्रयोग, साथ ही साथ संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के सिद्धांतों का समर्थन करता है।

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के असर से अब स्वच्छता का विचार अब विभिन्न नागरिक समूहों के साथ अपने शहर की स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी लेने और इसे स्पष्ट रूप से सुधारने के लिए एक साथ नागरिकों के जेहन में शामिल हो गया है।

मिशन के सार में केंद्रीय विश्वास निहित है कि ‘स्वच्छता हर किसी का व्यवसाय है’ और इस महत्वपूर्ण संदेश को पिछले कई वर्षों से लगातार पारंपरिक, डिजिटल, सोशल मीडिया और अंतर्वैयक्तिक माध्यम का उपयोग कर सभी नागरिकों के मन में इसके प्रति विश्वास को स्थापित करने के लिए किया गया है।

अब, स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत, शहरों को कचरा-मुक्त बनाने के लिए ‘नेशनल बिहेवियर चेंज कम्युनिकेशन फ्रेमवर्क फॉर गार्बेज फ्री सिटी’ किया गया है। यह संचार व्यवस्था राज्यों और शहरों के लिए बेहतर और केंद्रित अंतर-व्यक्तिगत संचार अभियानों के साथ-साथ बड़े पैमाने पर मल्टीमीडिया अभियान चलाने के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम करेगा।

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) सचिव, श्री मनोज जोशी द्वारा इसे फ्रेमवर्क को लॉन्च किया गया। यह फ्रेमवर्क भारत के शहरी परिदृश्य को सही मायने में बदलने के लिए कचरे को छांटने, संग्रह, परिवहन, और कचरे के प्रसंस्करण, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन और कचरे के मैदान का हल निकालने के जैसे अहम मुद्दे पर केंद्रित है। यह सही मायने में भारतीय शहरी परिद‌ृश्य को बदलने का काम करेगा।

इस अभियान के शुभारंभ के अवसर पर बोलते हुए, श्री मनोज जोशी ने कहा, “हमने मिशन के तहत आम लोगों के व्यवहार में अभूतपूर्व बदलाव देखा है। पिछले कुछ वर्षों में हमें यह अहसास हुआ है कि आईईसी अभियान सबसे सफल हैं जहां स्थानीय निकायों ने आईईसी गतिविधियों के साथ-साथ काफी काम किया है। हालांकि, जमीनी स्तर पर और पूरे समाज में वास्तविक बदलाव को महसूस करने के लिए समाज के सभी वर्ग को साथ लेकर यह अभियान साथ-साथ चलाना चाहिए। हम सभी को एसबीएम-यू 2.0 के ‘कचरा मुक्त शहरों’ के लक्ष्य को रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए एसबीएम के पिछले सात वर्षों के दौरान अर्जित उपलब्धियों को बनाए रखने का संकल्प लेना चाहिए।”

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मूल सिद्धांतों और रूपरेखा को प्रस्तुत करते हुए, सुश्री रूपा मिश्रा, संयुक्त सचिव और मिशन निदेशक, स्वच्छ भारत मिशन, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने जन व्यवहार में बदलाव लाने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “मिशन के दौरान, शहरों ने अपनी रचनात्मकता साबित की है और नागरिकों के लिए स्वच्छता के लिए जन आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करने विभिन्न प्रकार के समाजिक साझेदारी की अवधारणा दी है। सात वर्षों के बाद मिली सीख स्पष्ट है कि कोई भी शहर जो अपने नागरिकों के साथ सीधे और व्यापक रूप से जुड़ा हुआ है, वह स्वच्छता के क्षेत्र में बेहतर रिजल्ट और स्वच्छता उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल रहा है। एसबीएम-यू 2.0 का जोर समाज में एक से दूसरे व्यक्ति के बीच संवाद स्थापित करना, मिड-मीडिया गतिविधियों के साथ-साथ सभी क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाना है ताकि समग्र स्वच्छता परिणामों में सुधार किया जा सके और समाज के आखिरी छोर तक बदलाव लाया जा सके।

कचरा मुक्त शहरों के लिए बीसीसी फ्रेमवर्क के राष्ट्रीय लॉन्च के बाद, ‘स्वच्छता की ज्योत’ शीर्षक से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और शहरी स्थानीय निकायों के लिए पीयर-लर्निंग वेबिनार श्रृंखला का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य स्वच्छता के क्षेत्र में प्रभाव डालने के लिए क्षेत्र के भागीदारों, शहरों और राज्यों की क्षेत्र के अनुभवों और सर्वोत्तम संचार प्रथाओं को साझा करना था। यह पीयर-लर्निंग वेबिनार स्वच्छ वार्ता का दूसरा संस्करण था।

स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में भारत के सबसे स्वच्छ राज्य छत्तीसगढ़ के लिए महिलाओं को संगठित करने के ऑन-ग्राउंड अनुभवों को साझा करते हुए, एसयूडीए, छत्तीसगढ़ के मिशन निदेशक श्री सौमिल रंजन चौबे ने कहा, “स्वच्छता दीदी छत्तीसगढ़ में स्वच्छ भारत मिशन की स्तंभ हैं। वे सुनिश्चित करती हैं कि प्रत्येक मोहल्ला हर दिन साफ-सुथरा रहे। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप स्वच्छ राज्य के रूप में ‘स्वच्छता का ताज’ को राज्य ने लगातार तीन साल सबसे जीता है। हमारी संपर्क रणनीति परिवार को लेकर है। हमने व्हाट्सएप जैसे डिजिटल संचार साधनों का उपयोग किया और 3,500+ समूह बनाए, ताकि नागरिकों तक सीधे घर में खाद बनाने, कचरे को पृथक्करण और इससे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक जानकारी दी जा सके। इस तरह की गतिविधियों से समय के साथ समाज में फर्क पड़ता गया।”

ओडिशा के दृष्टिकोण को श्री संग्रामजीत नायक, मिशन निदेशक, ओडिशा ने साझा किया, जिन्होंने कहा, “समुदाय की भागीदारी बेहतर स्वच्छता परिणामों को प्राप्त करने की कुंजी है। ओडिशा ने हमेशा सामुदायिक स्तर के संस्थानों जैसे मिशन शक्ति महिला स्वयं सहायता समूहों, स्वच्छ साथियों, स्वच्छ पर्यवेक्षकों, स्वच्छ कर्णिस, ट्रांसजेंडर की अपशिष्ट प्रबंधन में भूमिका पर जोर दिया है। राज्य में स्वच्छता परिणामों में सुधार की दिशा में इन समूहों के जोड़ने के प्रयासों का प्रयोग सफल रहा है।”

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व्यवहार परिवर्तन संचार के क्षेत्र में क्षेत्र के भागीदारों और विशेषज्ञों ने चर्चा में सूक्ष्म दृष्टिकोण जोड़े। बीबीसी मीडिया की ग्लोबल क्रिएटिव एडवाइजर सुश्री राधारानी मित्रा ने कहा, “कम्यूनिकेशन के लिए 360-डिग्री दष्टिकोण अधिक प्रभावी होता है क्योंकि यह एक ही विचार विभिन्न टचपॉइंट्स के जरिये लागू करता है। इससे बड़ा एक्सपोजर मिलता है और इस प्रकार जागरूकता बढ़ाने, दृष्टिकोण बदलने, बातचीत में इसे अहम मुद्दे को शामिल करने में मदद मिलती है। 

श्री. पंडित पाटिल, चीफ ऑफिस, लोनावाला ने लोनावाला के हिल स्टेशन में नागरिकों, विशेष रूप से युवा छात्रों के अपने आस-पास की हरी-भरी पहाड़ियों को कचरा मुक्त बनाने के संकल्प पर प्रकाश डाला। उन्होंने लोनावाला नगर निगम द्वारा ‘ड्राई वेस्ट पासबुक योजना’ के बारे में बताया, जिसे 2015 से युवा छात्रों द्वारा खूब सराहा जा रहा है। हर साल, यह पहल अकेले 23 स्कूलों के 9,000+ छात्रों को इस अभियान से जुड़ने के लिए आकर्षित करती है और घरेलू स्तर पर कचरे को अलग करने के लिए लोनावाला में पड़ोसी एक दूसरे को प्रेरित करते और उनके व्यवहार में बदलाव लाने का काम करते हैं।

विजयवाड़ा से दृष्टिकोण साझा करते हुए, श्री स्वप्निल दिनकर, कमिश्नर ने उस संकल्प पर प्रकाश डाला जिसके साथ उनके शहर के नागरिकों ने अपने शहरी परिदृश्य को बदल दिया है। उन्होंने कहा, “पूरे शहर में 3,700+ सफाई मित्र हैं जो शहरी परिदृश्य को बदलने के लिए अथक प्रयास करते हैं। विजयवाड़ा नगर निगम अपने नागरिकों को शहर में हरित समुदायों की संख्या बढ़ाने में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहा हैं।”

सीयूआरई में तकनीकी प्रकोष्ठ के प्रमुख डॉ. बरसा पोरिचा ने बातचीत को आगे बढ़ाते हुए कहा, “बीसीसी एसबीएम यू 2.0 की सफलता की कुंजी है। ऐसे में वांछित परिणाम लाने के लिए स्थानीयकरण, सामुदायिक जुड़ाव, नागरिक भागीदारी और सहयोगी भागीदारी की आवश्यकता है। बीसीसी डिजाइन प्रक्रिया की शुरुआत से सभी हितधारकों को बोर्ड पर लाना भी महत्वपूर्ण है। यह दृष्टिकोण के सह-निर्माण और सह-स्वामित्व को सक्षम करेगा और व्यवहार परिवर्तन की स्थिरता सुनिश्चित करेगा।”

स्वच्छ वार्ता का दूसरा एपिसोड यह बताने में सफल रहा कि कैसे व्यवहार परिवर्तन भारत को सभी नागरिकों, इस अभियान को लागू करने वाले और राज्य के अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी के साथ टिकाऊ शहरीकरण के रास्ते पर ला सकता है। वर्चुअल इवेंट में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मिशन निदेशकों, वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ सेक्टर पार्टनर्स ने भाग लिया।

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