बिजली मंत्रालय ने सम्मिश्रण उद्देश्यों के लिए समय पर कोयले के आयात के लिए स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (आईपीपी) सहित सभी जेनको यानी बिजली उत्पादन कंपनियों को निर्देश जारी किए

बिजली मंत्रालय ने सभी जेनको यानी बिजली उत्पादक कंपनियों को निर्देश जारी किया है कि यदि 31.05.2022 तक जेनको द्वारा सम्मिश्रण के लिए कोयले के आयात के आदेश नहीं दिए जाते हैं और यदि सम्मिश्रण के उद्देश्य से आयातित कोयला 15.06.2022 तक बिजली संयंत्रों में पहुंचना शुरू नहीं होता है, तो ऐसी चूक करने वाली सभी जेनको को 31.10.2022 तक की शेष अवधि में 15% की सीमा तक (पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून 2022 में सम्मिश्रण उद्देश्य के लिए आयातित कोयले की कमी को पूरा करने के लिए) सम्मिश्रण उद्देश्य के लिए कोयले का आयात करना होगा। निर्देश में आगे कहा गया है कि अप्रैल और मई 2022 के महीनों में बहुत अधिक सम्मिश्रण नहीं हुआ है, तो बिजली संयंत्र (जिन्होंने अभी तक आयातित कोयले से सम्मिश्रण शुरू नहीं किया है) यह सुनिश्चित करेंगे कि वे अक्टूबर 2022 तक 15% की दर से और उसके बाद नवंबर 2022 से मार्च 2023 तक 10% की दर से कोयले का मिश्रण करें।

बिजली मंत्रालय ने राज्य सचिवों/प्रधान सचिवों और सभी जेनको यानी बिजली उत्पादन कंपनियों को लिखे पत्र में कहा है कि बिजली की मांग को पूरा करने की आवश्यकता की तुलना में घरेलू स्रोतों से कोयले की आपूर्ति की संभावना कम होने की आशंका को ध्यान में रखते हुए, सभी जेनको को 01.06.2022 से संभावित उपलब्धता के आधार पर आनुपातिक रूप से घरेलू कोयला आवंटित किया जाएगा और शेष आवश्यकता को सम्मिश्रण उद्देश्य और बंधुआ कोयला खदानों में उत्पादन के लिए निर्धारित लक्ष्य के लिए आयातित कोयले से पूरा करने की जरूरत होगी। यदि 15.06.2022 तक घरेलू कोयले के साथ सम्मिश्रण शुरू नहीं किया जाता है तो चूक करने वाली संबंधित तापीय बिजली संयंत्रों के घरेलू आवंटन में 5% की और कमी की जाएगी। तद्नुसार, जुलाई, 2022 से आगे के महीने के लिए घरेलू कोयले के संशोधित आवंटन की सूचना उपरोक्त पद्धति के आधार पर दी जाएगी। सभी जेनको को अक्टूबर, 2022 तक सुचारू संचालन के लिए अपने बिजली संयंत्रों में पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है।

यह भी पढ़ें :   सात करोड़ की लागत से माइंंस की जियोलोजी विंग होगी आधुनिक संसाधनयुक्त, आरएसएमईटी से उपलब्ध होगी राशि -अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस -लेबोरेटरी, ड्रिलिंग सहित अन्य विंगों को होंगे संसाधन उपलब्ध -खोज व परीक्षण कार्य को मिलेगी गत

 

मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि आयातित कोयला आधारित संयंत्र चलने चाहिए और राज्य को पिछले वर्षों की तरह सम्मिश्रण के लिए कोयले का आयात करना चाहिए। बिजली मंत्रालय ने बिजली अधिनियम की धारा 11 के तहत निर्देश जारी किए थे कि सभी आयातित कोयला आधारित संयंत्र चलने लगे और उनमें से अधिकांश चलने लगे हैं। तथापि, राज्यों द्वारा सम्मिश्रण के लिए कोयले का आयात संतोषजनक नहीं है। 2018-19 में सम्मिश्रण के लिए कुल 21.4 मिलियन टन कोयले का आयात किया गया था। 2019-20 में सम्मिश्रण के लिए कुल आयात 23.8 मिलियन टन था जबकि 2021-22 में यह केवल 8.3 मिलियन टन था। कोयले की उपलब्धता में तनाव का यही कारण है।

यह भी पढ़ें :   झारखंड के पलामू जिले में एडीआईपी योजना के तहत दिव्यांगजनों को सहायता और सहायक उपकरणों के वितरण के लिए 'सामाजिक अधिकारिता शिविर'

बिजली मंत्रालय (एमओपी) ने 07.12.2021 को सभी घरेलू कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को राज्य के जेनको यानी बिजली उत्पादन कंपनियों और स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (आईपीपी) द्वारा आयातित कोयले के साथ 4% की सीमा तक मिश्रित करके अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोयला आयात करने की सलाह जारी की थी। बिजली मंत्रालय ने 31.10.2022 तक कुल आवश्यकता के 10% की आवश्यकता को पूरा करने के लिए सम्मिश्रण उद्देश्य के लिए कोयले के आयात के लिए 28.04.2022 को संशोधित सलाह जारी की थी। प्रत्येक जेनको और आईपीपी के लिए 10% पर सम्मिश्रण की आवश्यकता को भी सूचित किया गया था और यह सलाह दी गई थी कि 30.06.2022 तक 50% मात्रा, 31.08.2022 तक 40% मात्रा और 31.10.2022 तक 10% मात्रा प्राप्त करना सुनिश्चित करने के लिए 31.05.2022 तक कोयले के आयात (मिश्रण के लिए) की मांग कर दी जाए।

***

एमजी/एएम/एके/एसएस