​​​​​​​ हम अपने विषयों को रॉक स्टार बनाना चाहते हैं: निदेशक प्रिंस शाह

डॉक्यूमेंट्री (वृत्तचित्र) ‘मून ऑन द मैन’ के निदेशक प्रिंस शाह ने कहा कि हम अपने किरदारों के संबंध में लोगों को सहानुभूति देने के बजाय अपने विषयों का उत्सव मनाना चाहते हैं और उन्हें रॉक स्टार बनाना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा, “हम दर्शकों को किरदारों की खामियों को नहीं दिखाने को लेकर सतर्क थे। इस डॉक्यूमेंट्री के दो पात्र हमारे जीवन में आए। हमने दूसरा तरीका न अपनाते हुए उन्हें फॉलो करना शुरू किया। आखिरकार किरदार हमारे परिवार का हिस्सा बन जाते हैं।”

प्रिंस शाह ने मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 17वें संस्करण के तहत आयोजित #MIFFDialogue में मीडिया और प्रतिनिधियों को संबोधित किया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्यूमेंट्री ‘आई राइज’ के निदेशक बोरुन थोकचोम, ‘मून ऑन द मैन’ के निर्माता अंशुल पाण्डेय और ‘मून ऑन द मैन’ के सिनेमैटोग्राफर वैभव ने भी हिस्सा लिया।

प्रिंस शाह ने अपनी डॉक्यूमेंट्री के बारे में कहा कि ‘मून ऑन द मैन’ दो लोगों की वास्तविकता पर सवाल उठाती है। उन्होंने आगे विस्तार से बताया, “एक भारत के सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानी प्रैक्लॉन हैं, जिन्होंने बाद में महान फिल्म निर्माता गुरु दत्त के साथ काम किया। दूसरा किरदार अपने समय के सबसे व्यस्त बाल कलाकार मास्टर शैलेश हैं। उन्होंने बाल कलाकार के रूप में लगभग 55-60 फिल्मों में अभिनय किया है। वे पिछले 30-40 साल से सड़कों पर रह रहे हैं। फिल्म उनकी वास्तविकताओं पर सवाल उठाती है और कई अन्य मुद्दों पर बात करती है।”

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‘आई राइज’ के निदेशक बोरुन थोकचोम ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग के दौरान अपने विषय को अपने और कैमरे के साथ सहज बनाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा, “डॉक्यूमेंट्री को अनोखा बनाने के लिए इसका विषय के साथ जुड़ाव बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें समय लगेगा। इसे शूट करने में लगभग पांच से छह साल लगे। मात्रा से ज्यादा गुणवत्ता मायने रखती है।”

फिल्मों के बारे में संक्षिप्त विवरण

‘मून ऑन द मैन’

मून ऑन द मैन एक ऑब्जर्वेशनल फीचर-लेंथ डॉक्यूमेंट्री है, जो दो पात्रों के जीवन के माध्यम से वास्तविकता, धारणा और पसंद के सबसे बुनियादी सिद्धांतों पर सवाल उठाती है। यह फिल्म मानसिक रोग, बुढ़ापा और टूटे हुए सपनों पर ध्यान केंद्रित कर समय व परिप्रेक्ष्य के बदलते परिदृश्य में दिशा खोजने के लिए व्यक्ति के संघर्ष की पड़ताल करती है।

आई राइज

एक गरीब परिवार में जन्मी एक मां और महिला मुक्केबाज लैशराम सरिता देवी ने अंतरराष्ट्रीय ख्याति की एक प्रसिद्ध खेल हस्ती बनने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। मां बनने के बाद वह पहली भारतीय पेशेवर महिला मुक्केबाज के रूप में सुर्खियों में आईं। मां बनने के बाद वे पहली भारतीय पेशेवर महिला मुक्केबाज के रूप में सुर्खियों में आईं। अपनी प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा के बावजूद वे हाशिए पर पड़े लोगों को सशक्त बनाने के बारे में संवेदनशील हैं और एक अकादमी चलाती हैं। यह मुक्केबाजी के जरिए बेसहारा बच्चों को एक पहचान बनाने के लिए प्रशिक्षित व प्रोत्साहित करती है। यह कहानी कठिन परिस्तिथियों पर विस्तार से बताती है, जहां वे अपने मिशन और अपने प्यारे बेटे टॉमथिल के साथ अपने संबंधों के बीच संघर्ष करती हैं।

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यह एक मां और एक चेंज मेकर (बदलाव लाने वाली) के बीच टकराव की कहानी है।

निर्देशकों के बारे में:

प्रिंस शाह ने सिनेमा में अपने करियर की शुरुआत टेनर (2020), सेंस 8 (2015-2018) और गली बॉय (2019) सहित भारतीय व अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में सहायक निर्देशक के रूप में की थी। एक निर्देशक के रूप में उनकी लघु फिल्मों में 2733 सी यू ऑन द अदर साइड शामिल है। इसने मुंबई एकेडमी ऑफ मूविंग इमेज फेस्टिवल (2011) में ऑडियंस च्वाइस अवार्ड जीता था। वहीं, एक निर्माता और निर्देशक के रूप में मून ऑन द मैन उनकी पहली फीचर लेंथ डॉक्यूमेंट्री है।

बोरुन थोकचोम एक राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता हैं और उन्हें टेलीविजन पत्रकारिता में एक दशक से अधिक का अनुभव है। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध पर “इंफाल की लड़ाई” नामक एक डॉक्यूमेंट्री सीरिज के लिए जापान के एनएचके वर्ल्ड के लिए छायाकार के रूप में भी काम किया था।

उन्होंने अमेजन प्राइम वीडियो पर कवितालय प्रोडक्शन्स की म्यूजिकल डॉक्यूमेंट्री सीरिज, जिसमें एआर रहमान को फीचर किया गया था, के लिए लाइन निर्माता के रूप में भी काम किया। उनकी नवीनतम वृत्तचित्र फिल्म आई राइज को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कार मिल रहे हैं।

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