सोगरिया स्टेशन एक महीने में होगा चालू, जीएम ने दी जानकारी

सोगरिया स्टेशन एक महीने में होगा चालू, जीएम ने दी जानकारी
कोटा।  सोगरिया स्टेशन एक महीने के अंदर चालू हो जाएगा। यहां पर अधिकतर काम समाप्त हो चुके हैं। यहां अब केवल फिनिशिंग वर्क चल रहा हैं। यह जानकारी पश्चिम-मध्य रेलवे महाप्रबंधक शैलेंद्र कुमार सिंह ने पत्रकारों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब में दी। सिंह बुधवार को सोगरिया स्टेशन का निरीक्षण करने पहुंचे थे। सिंह ने बताया कि यात्रियों को जल्द ही सोगरिया स्टेशन की नई सौगात मिल जाएगी। स्टेशन चालू होने के बाद ट्रेनें सोगरिया से बाईपास हो जाएंगी। ट्रेनों का कोटा आना बंद हो जाएगा। इससे कोटा स्टेशन पर ट्रेनों को प्लेटफार्म खाली होने के इंतजार में आउटर पर खड़ा नहीं रहना पड़ेगा।
सिंह ने सोगरिया में स्टेशन भवन, प्लेटफार्म, पैदल पुल, सर्कुलेटिंग एरिया, वेटिंग हॉल, पार्किंग स्थल तथा एप्रोच रोड आदि का सघन निरीक्षण किया।
इससे पहले सिंह ने रुठियाई से कोटा तक रेल पटरियों के दोहरीकरण कार्य को भी देखा।
मोतीपुरा चौकी स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का जायजा लेते हुए सिंह ने रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के अधिकारियों से के दोहरीकरण कार्य की जानकारी ली।
इसके बाद बारां रेलवे स्टेशन पर सिंह ने प्लेटफार्म, सर्कुलेटिंग एरिया, उच्च श्रेणी यात्री प्रतिक्षालय का निरीक्षण कर माल गोदाम में नई लाइन बनाने के काम की जानकारी ली।
जालंधरी में किया निरीक्षण
दोपहर में कोटा पहुंचने के बाद सिंह ने बूंदी रेलखंड स्थित जालंधरी स्टेशन के पास पुल का भी निरीक्षण किया।
एक साल पिछड़ा काम
उल्लेखनीय है कि बीना-कोटा दोहरीकरण का कार्य एक साल से अधिक पिछड़ गया है। कोरोना और जमीन अवाप्ति में देरी को इसका मुख्य कारण माना जा रहा है। सिंह के दौरे का मुख्य उद्देश्य काम में गति लाकर इसे जल्द से जल्द पूरा करना है। इस काम के अब अगले साल पूरा होने की उम्मीद है। 291 किलोमीटर में से अभी 154 किलोमीटर का काम ही हुआ है।
दिखा कोरोना का डर
सिंह के दौरे के दौरान कोरोना का डर और तेज गर्मी का असर नजर आया। मौका मुआयना करने की जगह सिंह ने अधिकारियों से अधिकतर कामों की जानकारी सैलून में ही ली। होटलों की जगह लंच भी सिंह ने सैलून में ही लिया तथा डिनर डीआरएम के घर पर किया। उसके बाद सिंह दयोदय ट्रेन से जबलपुर लौट गए।
कर्मचारी नेताओं से नहीं मिले जीएम
कोटा में सिंह ने विभिन्न कर्मचारी संगठनों के नेताओं से मिलना जरूरी नहीं समझा। जीएम से मिलने के लिए कर्मचारी नेता ज्ञापन लेकर अपने ऑफिस में बैठे बुलावे का इंतजार करते रहे।