Indian Railways : रेलवे अस्पताल ने किया पद्मश्री डॉ. लीला जोशी का सम्मान, पुराने कर्मचारियों से मिलकर हुई अभिभूत

Indian Railways : रेलवे अस्पताल ने किया पद्मश्री डॉ. लीला जोशी का सम्मान,

पुराने कर्मचारियों से मिलकर हुई अभिभूत

Kota Rail News :  गत वर्ष पद्मश्री अवार्ड प्राप्त डॉक्टर लीला जोशी अपने एक दिवसीय दौरे पर शनिवार को कोटा पहुंची। यहां कोटा रेल मंडल चिकित्सालय सहित अन्य संस्थाओं ने डॉक्टर जोशी का जोरदार स्वागत और सम्मान किया। कोटा में पुराने कर्मचारियों से मिलकर जोशी काफी खुश नजर आईं। आगमन की सूचना पर जोशी से मिलने बड़ी संख्या में रेलवे अस्पताल, वर्कशॉप और मंडल से सेवानिवृत्त कर्मचारी पहुंचे थे। जोशी ने किसी को निराश नहीं किया। एक-एक से मुलाकात कर जोशी उनके साथ फोटो भी खिंचवाए।
इस अवसर पर जोशी पुरानी यादों में खोई नजर आईं।
स्वागत समारोह के बाद जोशी ने पूरे अस्पताल को भी देखा। इस अवसर पर जोशी ने वह कमरा भी विशेष रूप से देखा जहां पर बैठकर वह मरीजों की सेवाएं दिया करती थीं। कमरा देखकर जोशी की पुरानी यादें ताजा हो गईं।
अस्पताल घूमने के दौरान जोशी ने आउटडोर में लगी अपनी तस्वीर को भी देखा। अस्पताल द्वारा यह तस्वीर पद्मश्री अवार्ड मिलने के बाद जोशी के सम्मान में लगाई है। अस्पताल में किसी डॉक्टर की लगी यह पहली तस्वीर है।
सम्मान करने वालों की लगी होड़
इससे पहले आयोजित समारोह में जोशी को सम्मानित करने के लिए कर्मचारियों में होड़ लगी रही। पुष्पगुच्छ और उपहार देकर कर्मचारियों ने जोशी का जोरदार स्वागत और सम्मान किया। समारोह में अस्पताल की ओर से डॉ जोशी को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया गया। बाद में महिला कल्याण कर्मचारी संगठन ने भी ऑफिसर क्लब में जोशी का सम्मान किया। इसके अलावा शहर के अन्य संस्थाओं द्वारा भी जोशी का सम्मान किया गया।
तीन लाख बालिकाओं को जांचा
सम्मान समारोह में जोशी ने कहा कि वह अब तक तीन लाख से अधिक बालिकाओं के स्वास्थ्य की जांच कर चुकी हैं। जोशी ने कहा कि खून की कमी नहीं होने देने के लिए हमें 12 साल से ही लड़कियों की देखभाल करनी होगी। जोशी ने कहा कि डॉक्टर के लिए मरीजों की सेवा ही परम धर्म है। जल्द स्वास्थ्य के लिए डॉक्टरों को मरीजों से बेहतर संबंध बनाने होंगे। साथ ही महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना होगा।
29 साल दी रेलवे में सेवा
उल्लेखनीय है कि जोशी ने 1962 से लेकर 1991 तक करीब 29 साल रेलवे अस्पताल में अपनी सेवाएं दी हैं।
इसके बाद जोशी का स्थानांतरण रेलवे बोर्ड और अन्य जगह हो गया था। सेवानिवृत्ति के बाद गोवाहटी की रहने वाली जोशी ने रतलाम को अपना कर्मभूमि बनाया। यहां पर जोशी करीब 20 साल से विशेषकर आदिवासियों के बीच काम कर रही हैं। जोशी ने यहां खून की कमी से होने वाले रोगों के प्रति महिलाओं को जागरूक किया। साथ ही उनका इलाज कर बेहतर और स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित किया किया। इसके चलते केंद्र सरकार द्वारा गत वर्ष जोशी को पद्मश्री अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।