Indian Railways : डीआरएम की नाक के नीचे चल रहा रिश्वत का खेल, भूमिका की हो जांच, भ्रष्टाचार के मामले पर पर्दा डालने का प्रयास

Indian Railways : डीआरएम की नाक के नीचे चल रहा रिश्वत का खेल, भूमिका की

हो जांच, भ्रष्टाचार के मामले पर पर्दा डालने का प्रयास

Kota Rail News : मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) पंकज शर्मा की नाक के नीचे रिश्वत का यह खेल लगातार चल रहा है। भ्रष्टाचार से संबंधित मामले सामने आने पर संवाददाताओं द्वारा शर्मा से फोन पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की जाती है, मैसेज किए जाते हैं। लेकिन शर्मा किसी का जवाब देना जरूरी नहीं समझते। इसके चलते मामले में शर्मा की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। मीडिया के प्रश्नों का जवाब नहीं देकर शर्मा भ्रष्टाचार के मामलों को दबाने में लगे रहे।
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अजय पाल और पंकज शर्मा ने अपने मीडिया ग्रुप में प्रशासन की वाह वाही करने वालों को ही शामिल कर रखा है। इस ग्रुप में ऐसे पत्रकारों को बाहर कर रहा है जो प्रशासन से सवाल पूछते हैं, व्यवस्था में सुधार के लिए खामियों को उजागर करते हैं तथा गलत निर्णय की आलोचना भी करते हैं। शर्मा और अजय पाल ऐसे संवाददाताओं को अपनी पत्रकार वार्ता तक में भी शामिल नहीं करते हैं। आलोचना सुनना पसंद नहीं करने का ही परिणाम है कि कोटा मंडल में लगातार भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं।
पत्रकारों को नौकरी तक से निकलवाया
भ्रष्टाचार की शिकायतों और समाचारों पर भी प्रशासन कभी गंभीर नजर नहीं आया। भ्रष्टाचार में सामने आए नामों पर भी प्रशासन ने कभी ठोस कार्रवाई की जरूरत नहीं समझी। इतना ही नहीं प्रशासन इतना नीचे गिर गया कि झूठी शिकायतें कर ऐसे पत्रकारों को अखबार से हटवाने में भी पीछे नहीं हटा। पिछले 2 सालों में भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए। लेकिन विजिलेंस और प्रशासन सोता रहा। इतना होने के बाद भी अगर रेलवे ने मामले की गंभीरता से जांच नहीं की तो इससे बड़े घोटाले भी सामने आ सकते हैं।
अजय पाल के सामने आए कई मामले
अजय पाल के शासनकाल में ही भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आ चुके हैं। इन मामलों को समय-समय पर समाचारों के माध्यम से सामने भी लाया जाता रहा है। लेकिन प्रशासन द्वारा कभी किसी मामले को गंभीरता से लेने की जानकारी सामने नहीं आई।
सबसे ताजा मामला कोटा मांडलगढ़ और भरतपुर में सामने आया है। व्यापारियों द्वारा यहां पर एलम की जगह मार्बल पाउडर भेज दिया गया। इससे रेलवे को करीब 30 करोड़ रुपए से अधिक के नुकसान की आशंका है। इतने बड़े मामले पर भी प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। इतने बड़े मामले पर भी शर्मा ने कुछ भी कहना जरूरी नहीं समझा। इस चुप्पी से ऐसा लग रहा है कि जैसे भ्रष्टाचार में प्रशासन की मौन स्वीकृति हो।
इसके अलावा कोटा माल गोदाम से भी बिना बताए चोरी छुपे कोटा स्टोन भेजने का मामला भी सामने आ चुका है। इस पर भी प्रशासन ने अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही करना जरूरी नहीं समझा। इसके अलावा जनशताब्दी ट्रेन में लगातार छह महीने तक 108 सीटें रोजाना बिकने का भी मामला सामने आया था। इसमें रेलवे को लाखों रुपए का चूना लगा था। लेकिन प्रशासन ने इस मामले में भी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा। इसके अलावा कोटा स्टेशन पर कार पार्किंग के नियम विरुद्ध कोटेशन के भी कई मामले सामने आए। इस पर भी प्रशासन ने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा।
इसके अलावा मंडल में कई ऐसे टेंडर है जिन्हें समय पर नहीं कर रेलवे का करोड़ों रुपए का नुकसान किया गया। इस पर भी प्रशासन ने अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराना जरूरी नहीं समझा।
डीआरएम ऑफिस में पसरा सन्नाटा
एसीबी द्वारा वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अजय पाल के पकड़े जाने के बाद शुक्रवार को डीआरएम ऑफिस सन्नाटा पसरा रहा। ऑफिस में आमतौर पर होने वाला शोर शराबा भी कहीं नहीं सुनाई दिया। वाणिज्य विभाग में तो इतना सन्नाटा था कि कोई पिन भी गिर जाए तो उसकी आवाज सुनाई दे जाए। आपस में कानाफूसी कर कर्मचारी अजय पाल के मामले की चर्चा करते नजर आए। कर्मचारियों ने अजय पाल की खबरों को एक दूसरे को जमकर शेयर किया।
देशभर में मचा हड़कंप
अजय पाल पकड़े जाने के मामले से पूरी भारतीय रेलवे में हड़कंप की स्थिति रही। यह मामला देश भर के कई अखबारों की सुर्खियां बना। अजय पाल के पकड़े जाने की खबर आग की तरह तुरंत देश भर में फैल गई। मामला रातो रात देशभर में वायरल हो गया। कोटा मंडल में तो यह मामला रेलवे कर्मचारियों के अलावा आमजन में भी चर्चा का विषय बना रहा। कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि भ्रष्टाचार की अति होने के चलते यह तो एक दिन होना ही था।
यह था मामला
उल्लेखनीय है कि भरतपुर की एसीबी ने अजय पाल को अपने ही कर्मचारी की चार्जशीट रफा-दफा करने के मामले में 20 हजार रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में रंगे हाथों गिरफ्तार किया हैं। अजय फिलहाल 3 दिन की रिमांड पर हैं।