राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर के सरकारी अस्पताल में एंजियोप्लास्टी करवा कर राजनेताओं और अधिकारियों के समक्ष मिसाल कायम की।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर के सरकारी अस्पताल में एंजियोप्लास्टी करवा कर राजनेताओं और अधिकारियों के समक्ष मिसाल कायम की।
कोरोना के संक्रमण के बाद सीएम गहलोत अनेक परेशानियों से गुजर रहे थे। 27 अगस्त की तड़के सांस लेने में तकलीफ हुई तो अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।
कोविड के बाद ऐसी बीमारियां हो रही है-हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ. राजेन्द्र गोखरू।
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27 अगस्त को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हार्ट की एंजियोप्लास्टी जयपुर के सरकारी एसएमएस अस्पताल में हुई। चिकित्सकों के अनुसार सीएम गहलोत की आर्टरी 90 प्रतिशत तक ब्लॉक थी, इसलिए हाथों हाथ एक स्टेंट लगाना पड़ा। फिलहाल गहलोत को अस्पताल से स्पेशल आईसीयू कक्ष में रखा गया है। गहलोत को तड़के सांस लेने में तकलीफ हुई तो हाथों हाथ एक निजी अस्पताल में एमआरआई आदि करवाई गई। चिकित्सकों की सलाह पर ही एंजियोग्राफी कराने का निर्णय लिया गया। आमतौर पर राजनेता और बड़े अधिकारी प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराते हैं। लेकिन गहलोत ने प्राइवेट अस्पतालों को दरकिनार कर राज्य सरकार के एसएमएस अस्पताल में एंजियोप्लास्टी करवाने का निर्णय लिया। सीएम गहलोत की यह पहल उन राजनेताओं और अधिकारियों के लिए मिसाल है जो छोटी छोटी बीमारी के लिए भी प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होते हैं। मुख्यमंत्री के सरकारी अस्पताल में एंजियोप्लास्टी करवाने से सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक भी उत्साहित हैं। सब जानते हैं कि किसी प्राइवेट अस्पताल से ज्यादा महंगी मशीन और अन्य उपकरण सरकारी अस्पतालों में होते हैं। सीएम गहलोत ने स्वयं के हार्ट का इलाज सरकारी अस्पताल में करवाकर आम लोगों को भी सरकारी अस्पतालों के प्रति प्रेरित किया है। सीएम ने अपनी सरकार के अस्पतालों की कार्यकुशलता पर भी मुहर लगाई है।
पोस्ट कोविड में परेशानी:
सीएम गहलोत भी कोरोना से संक्रमित हुए थे। ठीक होने के बाद सीएम गहलोत ने कई बार सार्वजनिक तौर पर कहा, वे भी पोस्ट कोविड के बाद अनेक परेशानियों से गुजर रहे हैं। उन्होंने माना कि संक्रमित हुए व्यक्ति को ब्लड प्रेशर, शुगर, हार्ट, श्वास आदि की बीमारियां हो रही है। सीएम गहलोत बार बार कहते रहे कि संक्रमित व्यक्तियों को सतर्कता बरतने की जरूरत है। सतर्कता के मद्देनजर ही गहलोत ने अप्रैल माह में एक बार फिर स्वयं को दो माह के लिए सीएमआर में ही क्वारंटाइन करने की घोषणा की थी। सीएम के क्वारंटाइन की अवधि जब 15 अगस्त को समाप्त हुई तो सीएम ने सीएमआर से बाहर निकल कर कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लिया। मीडिया खबरों में कहा जा रहा था कि सीएम गहलोत अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर कांग्रेस हाईकमान से विचार विमर्श करने के लिए दिल्ली जाने वाले हैं। सीएम दिल्ली जाते इससे पहले ही उन्हें जयपुर में एंजियोप्लास्टी करवानी पड़ी है। स्वाभाविक है कि अब चिकित्सकों की सलाह पर सीएम गहलोत सीएमआर में विश्राम करेंगे। जहां तक अस्पताल से छुट्टी मिलने का सवाल है तो अगले दो तीन दिन में गहलोत को छुट्टी मिल जाएगी। 27 अगस्त को जब गहलोत की एंजियोप्लास्टी हुई तब उनके साथ उनकी पत्नी सुनीता गहलोत, पुत्र वैभव गहलोत और पुत्र वधु भी उपस्थित रहीं। प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा भी गहलोत के साथ रहे। 27 अगस्त को जब सीएम गहलोत के अस्पताल में भर्ती होने की सूचना आई तो अस्पताल पहुंचाने वाले नेताओं का तांता लग गया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि गहलोत जल्द स्वस्थ हो जाएंगे, क्योंकि प्रदेश के करोड़ों लोगों की दुआएं उनके साथ है।
कोविड के बाद हो रही है बीमारियां:
अजमेर के सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ और जेएलएन अस्पताल के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष रहे डॉ. राजेन्द्र गोखरू का कहना है कि संक्रमण के बाद ऐसी बीमारियां आमतौर पर हो रही है। सीएम गहलोत तो स्वयं पहले कई बार अपनी चिंता सार्वजनिक तौर पर जता चुके हैं। ऐसा तब हो रहा है, जब संक्रमित होने वाले व्यक्ति को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। सीएम गहलोत ने स्वयं ने भी वैक्सीन की दोनों डोज लगवा रखी है। डॉ. गोखरू ने कहा कि जो व्यक्ति संक्रमित हुए हैं, उन्हें ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है। हालांकि एक आर्टरी ब्लॉक होने के बाद स्टेंट लगना सामान्य बात है। एंजियोग्राफी के बाद एंजियोप्लास्टी चिकित्सा विज्ञान की बहुत सरल प्रक्रिया हो गई है। सीएम गहलोत इस बात के लिए साधुवाद के पात्र है कि उन्होंने सरकारी अस्पताल में एंजियोप्लास्टी करवाई है। इससे माध्यम वर्ग के परिवारों का सरकारी अस्पतालों पर और भरोसा कायम होगा।