Rajasthan : राजस्थान में इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक मंत्री विधायक ही बगावत के मूड में।

Rajasthan : राजस्थान में इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक मंत्री विधायक ही बगावत के मूड में।
काम के बोझ की वजह से टेंशन में है चांदना-सीएम गहलोत।
उदयपुर के चिंतन शिविर का असर राजस्थान के कांग्रेसी नेताओं पर ही नहीं हो रहा है। क्या बगावती तेवर सीएम गहलोत को ब्लैकमेल करने के लिए हैं?
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जुलाई 2020 में जब कांग्रेस के 18 विधायक सचिन पायलट के नेतृत्व में दिल्ली चले गए थे, तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि भाजपा के नेता उनकी सरकार गिराने की साजिश कर रहे हैं। गहलोत ने तब यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायकों को 35-35 करोड़ रुपए में खरीदा गया है। इसके साथ ही गहलोत ने सचिन पायलट से सब कुछ छीन लिया। पायलट अब सिर्फ कांग्रेस के एक विधायक हैं। लेकिन 2022 में तो अशोक गहलोत के समर्थक मंत्री और विधायक ही बगावत के मूड में है। 26 मई को खेल और युवा मामलों के मंत्री अशोक चांदना ने तो अपनी ही सरकार की पोल खोल दी।
चांदना ने सोशल मीडिया पर सीएम गहलोत से आग्रह किया कि मुझे इस जलालत भरे मंत्री पद से पदमुक्त कर मेरे भी विभाग का चार्ज आपके प्रधान सचिव कुलदीप रांका को दे दिया जाए। चांदना ने अपनी ट्वीट में रांका को सभी विभागों का मंत्री बताया। चांदना की तरह ही कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा, राजेंद्र बिधूड़ी, भरत सिंह, दिव्या मदेरणा, गिर्राज मलिंगा आदि अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुकी है। यदि मंत्री पद को जलालत भरा बताया जा रहा है तो इससे गहलोत सरकार के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। राजेंद्र बिधूड़ी का तो आरोप है कि सीएम गहलोत अपने मंत्रियों को जेल जाने से बचा रहे हैं। यानी ऐसे भी मंत्री हैं जिनके कारनामे जेल जाने वाले हैं। गंभीर बात यह है कि इस बार अशोक गहलोत के समर्थक मंत्री और विधायक ही बगावत के मूड में है। सीएम गहलोत के लिए यह भी मुसीबत है कि जलदाय मंत्री महेश जोशी के पुत्र रोहित को बलात्कार के आरोप में दिल्ली पुलिस तलाश कर रही है तो उपमुख्य सचेतक महेंद्र सिंह चौधरी के भाई और बहनोई को हत्या के आरोप में गिरफ्तार हो चुके हैं। यह सब तब हो रहा है कि जब राजस्थान में राज्यसभा की चार सीटों के लिए चुनाव होने हैं।
सीएम गहलोत का प्रयास है कि तीन सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार विजयी हो, इसके लिए गहलोत ने पूरी ताकत लगा रखी है, लेकिन समर्थक मंत्री और विधायकों के बगावती तेवरों से गहलोत की रणनीति को धक्का लगा रहा है। जब युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक गणेश घोघरा ने इस्तीफे की घोषणा की, तब सीएम गहलोत ने कहा कि घोघरा भावुक इंसान है। घोघरा से बात कर ली जाएगी। देखना है कि मंत्री अशोक चांदना के जलालत भरे वाले बयान पर गहलोत की क्या प्रतिक्रिया आती है। वहीं कांग्रेस की राजनीति को समझने वालों का कहना है कि विधायकों के ताजा बयान सीएम गहलोत को ब्लैकमेल करने के लिए हैं। असल में जो विधायक गहलोत के सामने मुखर होते हैं उनके समक्ष गहलोत गिड़गिड़ाने की मुद्रा में होते हैं और जो विधायक चुपचाप समर्थक बने रहते हैं,उनकी गहलोत परवाह नहीं करते। जो भाषा गहलोत पर असर डालती है, अब उसी भाषा का इस्तेमाल समर्थक मंत्री और विधायक करने लगे हैं। विधायकों के बगावती तेवरों से गहलोत सरकार बेहद कमजोर नजर आ रही है।
चिंतन शिविर का असर नहीं:
गहलोत के समर्थक मंत्रियों और विधायकों की नाराजगी उदयपुर में 13 से 15 मई के बीच हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद आ रही है। इस शिविर में कांग्रेस को मजबूत बनाने के कई संकल्प लिए गए, लेकिन प्रतीत होता है कि कांग्रेस के इस राष्ट्रीय शिविर का असर राजस्थान के ही नेताओं पर नहीं हो रहा है। इस चिंतन शिविर को सफल बनाने के लिए सीएम गहलोत ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन अब गहलोत के मंत्री और विधायक ही शिविर की सफलता पर पानी फेर रहे हैं।