Indian Railway: चाय पीने के लिए डीआरएम ने बंगले पर बनवाया ‘गाज़िबो’, मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे कर्मचारी

चाय पीने के लिए डीआरएम ने बंगले पर बनवाया ‘गाज़िबो’, मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे कर्मचारी
कोटा। न्यूज़. एक तरफ रेलवे कर्मचारी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं वहीं दूसरी ओर अधिकारी अपने बंगलों कि साज-सज्जा लाखों रुपए पानी की तरह बहा रहे हैं। इस मामले में मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) पंकज शर्मा भी पीछे नहीं हैं। शर्मा ने फिजूलखर्ची की सारी हदें पार करते हुए अपने बंगले में ‘गाजिबों’ (गार्डन में बैठने की जगह) तक का निर्माण करा लिया। ताकि बाहर खुले में बैठकर चाय का लुफ्त लिया जा सके। इस गाजिबों सहित डीआरएम ने अपने बंगले पर पिछले करीब 2 साल में फाउंटेन, हॉर्टिकल्चर, टाइलें, लाइट तथा रंगाई पुताई आती सात सज्जा के कामों पर लाखों रुपए खर्च कर दिए। फाउंटेन आदि की टाइलों को बदला गया। साज-सज्जा के लिए गमलों आदि में पेड़ पौधे लगाए गए। डीआरएम के बंगले पर काम के लिए ठेकेदार के अलावा दर्जनों रेलवे कर्मचारी भी जुटे रहे।
सभी अधिकारियों को यही हाल
सूत्रों ने बताया कि डीआरएम सहित सभी अधिकारियों का यही हाल है। एडीआरएम ने भी अपने बंगले पर लाखों रुपए के काम कराए हैं। इसके अलावा एक अधिकारी ने अपने बंगले पर चार-पांच लाख रुपए के काम करा लिए। लेकिन बाद में पसंद नहीं आने पर वह दूसरी जगह रहने चले गए।
सूत्रों ने बताया कि कर्मचारी आवासों की मरम्मत की राशि का बड़ा हिस्सा हर साल इन अधिकारियों के बंगले के रखरखाव में खर्च होता है। इसके अलावा कई स्पेशल टेंडर के जरिए भी अधिकारियों के बंगले पर काम कराए जाते हैं। हर आने वाला नया अधिकारी अपने हिसाब से बंगलों पर लाखों रुपए के काम कराता है।
कोरोना काल में भी नहीं रुकी फिजूलखर्ची
मामले में खास बात यह है कि यह फिजूलखर्ची कोरोना काल में भी नहीं रुकी। यह हाल तब है जब रेल मंत्रालय द्वारा कोरोना काल में कमाई घटने से फिजूलखर्ची पर पूरी तरह रोक के आदेश जारी कर रखे हैं।
वहीं इसके उलट कर्मचारियों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं। लगातार शिकायत के बाद भी कर्मचारियों के जाम शौचालय और गटर तक साफ नहीं हो रही हैं। कर्मचारी राजकुमार ने बताया कि पिछले 3 हफ्ते से लगातार शिकायत के बाद भी उसका टॉयलेट चौक है। उसके अलावा बारिश में कर्मचारियों के आवासों की छते टपकती हैं। रंगाई पुताई तक हुए कई साल बीत चुके हैं। फर्श टूटे पड़े हैं। घरों में समय पर पानी नहीं आता है।
डीआरएम ने नहीं दिया जवाब
इस संबंध में व्हाट्सएप मैसेज कर डीआरएम से बंगले पर होने वाले काम और खर्च के बारे में पूछा गया था। लेकिन चार दिन बाद भी डीआरएम ने जवाब देना जरूरी नहीं समझा।