धर्म संस्कार विहीन व्यक्ति का कोई मूल्य नहीं होता – आर्यिका विज्ञानमति जी

धर्म संस्कार विहीन व्यक्ति का कोई मूल्य नहीं होता – आर्यिका विज्ञानमति जी
सवाई माधोपुर 2 जनवरी। दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कारजी आलनपुर में ससंघ विराजित आचार्य कल्पविवेक सागरजी की शिष्या-आर्यिका विज्ञानमति माताजी की आज्ञा से आर्यिका आदित्यमति माताजी ने धर्म चर्चा के दौरान कहा कि मनुष्य पारलौकिक संस्कारों के अभाव में जीवन के रहस्य को समझ नहीं पाने के कारण संसार में भटकता रहता है।
समाज के प्रवक्ता प्रवीण जैन ने बताया कि आर्यिका ने कहा कि वर्तमान में भौतिकता की चकाचैंध से ग्रसित व्यक्ति जिस परिवेश में रह रहा है उस परिवेश में सुख-शांति व कुशलतापूर्वक जीवन जीने के लिए धर्म और संस्कारों की महती आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने प्रेरक उदाहरण देकर समझाया कि जिस प्रकार नेत्र विहीन मुख, नीति विहीन शासक, चंद्रमा विहीन रजनी का कोई मूल्य नहीं होता है। ठीक उसी प्रकार धर्म व संस्कार विहीन व्यक्ति का कोई मूल्य नहीं होता है। संस्कार रूपी ज्ञान गंगा में अपने आप को सराबोर कर लेने वाला व्यक्ति संसार सागर से पार हो सकता है।
मध्याह्न पश्चात समाज के महिला पुरुषों के साथ आर्यिका संघ ने शहर स्थित जिनालयों के दर्शन करने हेतु चमत्कारजी मंदिर से प्रस्थान किया और पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में भव्य अगुवानी के साथ पहुंचा। इस दौरान रास्ते में जगह-जगह समाजजनों ने अपने प्रतिष्ठानों एवं घरों के सामने आर्यिका संघ के दर्शन-वंदन कर धर्म लाभ लिया।
इससे पूर्व दिगंबर जैन नेमिनाथ अतिशय क्षेत्र दीवान जी की नसिया मंदिर में जिनेंद्र भक्तों ने मांगलिक मंत्रों के साथ प्रासुक जल से रजत कलशों द्वारा जिनेंद्र देव का अभिषेक, शांतिधारा कर विश्व शांति की कामना की।
जैन ने बताया कि सकल दिगंबर जैन समाज के तत्वावधान में 9 जनवरी को जैन धर्म के 8वें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु एवं 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म-तप कल्याणक महोत्सव श्रद्धा-भक्ति पूर्वक मनाया जावेगा।