टीके की बर्बादी जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए पारदर्शी तरीके से टीके का वितरण

राज्य की जनसंख्या, सक्रिय मामलों, इस्तेमाल की क्षमता और टीके की बर्बादी जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए पारदर्शी तरीके से टीके का वितरण किया गया

भारत का राष्ट्रीय कोविडटीकाकरण कार्यक्रम वैज्ञानिक और महामारी विज्ञान के साक्ष्य, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों और वैश्विक सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं पर बनाया गया है।व्यवस्थित एंड-टू-एंड योजना में अनुबंधित, इसकार्यक्रम को राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और बड़े पैमाने पर लोगों की प्रभावी और कुशल भागीदारी के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।

यह भी पढ़ें :   प्रधानमंत्री 8 नवंबर को श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग और श्री संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग के प्रमुख खंडों को चार लेन का बनाने के कार्य की आधारशिला रखेंगे

कुछ मीडिया रिपोर्टों में राज्यों को कोविड-19 टीकों के गैर-पारदर्शी आवंटन का आरोप लगाया गया है।ये आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद और पूर्ण रूप से सूचित नहीं हैं।

यह साफ किया जाता है कि भारत सरकार पारदर्शी तरीके से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को कोविड-19 के टीके आवंटित करना जारी रखे हुए है।भारत सरकार की ओर से टीके की आपूर्ति, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में इसकी खपत, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पास उपलब्ध बाकी और बिना उपयोगटीके की खुराक के साथ-साथ प्रक्रियारत टीके की आपूर्ति के बारे में जानकारी नियमित रूप से प्रेस सूचना कार्यालयकी प्रेस विज्ञप्तियों और अन्य माध्यमों से साझा की जाती है।

यह भी पढ़ें :   लंबित प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग में वर्चुअल बैठक

कोविड-19 टीके का वितरण निम्नलिखित मापदंडों पर किया जाता है:

  1. राज्य की जनसंख्या
  2. सक्रिय मामलों या बीमारी का बोझ
  3. राज्य की उपयोगिता दक्षता

टीके की बर्बादी से आवंटन नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है।