सरकार ने निपुण भारत मिशन के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय संचालन समिति की स्थापना की

स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने 5 जुलाई 2021 को बेहतर समझ तथा संख्यात्मक ज्ञान के साथ शिक्षा में प्रवीणता के लिये राष्ट्रीय पहल- निपुण भारत मिशन शुरू किया था, जिसका उद्देश्य ग्रेड 3 तक हर बच्चे के लिए मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता में सार्वभौमिक दक्षता के लक्ष्य को प्राप्त करना है, जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में परिकल्पित किया गया है। दिशा-निर्देशों में निर्धारित मानदंड के अनुसार निपुण भारत मिशन के कार्यान्वयन के लिए एक राष्ट्रीय संचालन समिति (एनएससी) का गठन 25 अक्टूबर 2021 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता और शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी की सह-अध्यक्षता में किया गया है।

 

एनएससी के अन्य सदस्यों में शामिल हैं: स्कूल शिक्षा और साक्षरता सचिव; एनसीईआरटी के निदेशक; एनआईईपीए के कुलपति; एनसीटीई के अध्यक्ष; उत्तर प्रदेश के शिक्षा सचिव; कर्नाटक के शिक्षा सचिव; गुजरात एससीईआरटी में निदेशक; सिक्किम एससीईआरटी में निदेशक; 7 केंद्रीय मंत्रालयों यानी महिला एवं बाल विकास, जनजातीय मामले, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, वित्त, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी तथा पंचायती राज के प्रतिनिधि; एनसीईआरटी और आरआईई अजमेर के दो विशेषज्ञ; और बाहर के तीन विशेषज्ञ। संयुक्त सचिव और निपुण भारत मिशन के मिशन निदेशक एनएससी के संयोजक हैं।

यह भी पढ़ें :   अवसंरचना वित्त सचिवालय (आईएफएस), डीईए ने "पीपीपी इकोसिस्टम (प्रगति में सहभागी) को मजबूत करने के लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता" विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया

 

निपुण भारत मिशन के लिए एनएससी की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां निम्नलिखित हैं:

 

i. मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता पर राष्ट्रीय मिशन की प्रगति की निगरानी करना और नीतिगत मुद्दों पर मार्गदर्शन प्रदान करना।

ii.   2026-27 में राष्ट्रीय स्तर पर हासिल किए जाने वाले लक्ष्य पर पहुंचने के लिए कार्य करना।

यह भी पढ़ें :   Rajasthan : देशभर मे राजस्थान के बजट की चर्चा, प्रो एक्टिव सोच के साथ समय पर पूरी करे घोषणाएं -सीएम

iii.   दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्यक्रम में वार्षिक प्रगति के मापन के लिए उपकरणों का प्रसार करना।

iv.   प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के लिए केआरए के साथ एक राष्ट्रीय कार्य योजना (राज्य की कार्य योजनाओं के आधार पर) तैयार करना और अनुमोदन करना, अंतराल के लिए जिम्मेदार कारकों (यानी फंड की कमी, रिक्तियों, शिक्षकों, जनसांख्यिकी, स्थानीय मुद्दों, शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण आवश्यकता, पाठ्यचर्या और शिक्षाशास्त्र संबंधी कार्य) को देखना।

v.   कार्यक्रम संबंधी और वित्तीय मानदंडों की समय-समय पर समीक्षा करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे हासिल किए जाने वाले लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठा रहे हैं।

vi.   प्रगति का विश्लेषण करने और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को फीडबैक प्रदान करने के लिए मूल्यांकन की पद्धति विकसित करना।

 

एमजी/एएम/एनके/वाईबी