जनजातीय कार्य मंत्रालय महान गुमनाम जनजातीय नायकों की स्मृति में आइकॉनिक वीक का आयोजन कर रहा है जिन्होंने अपना जीवन बलिदान किया और राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया

जनजातीय समुदाय के स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण व वीरता, आतिथ्य एवं राष्ट्रीय गौरव के भारतीय मूल्यों को प्रोत्साहन देने के लिए भारत सरकार ने 15 नवंबर, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को ’जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया है।

अपने जीवन का बलिदान करके राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाले महान गुमनाम जनजातीय नायकों की स्मृति में आइकॉनिक वीक मनाया जा रहा है जिसके तहत 15 से 22 नवंबर तक पूरे सप्ताह चलने वाले समारोहों के दौरान अनेक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। ओडिशा सरकार के एसटी और एससी विकास विभाग ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत समग्र स्मरणीय पहलों के हिस्से के रूप में जनजातीय लोगों,  उनकी संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का उत्सव मनाने एवं उसे याद करने के लिए 15 नवंबर से 22 नवंबर 2021 तक पूरे सप्ताह चलने वाले समारोहों की योजना बनाई है।

भगवान बिरसा मुंडा (15-22 नवंबर 2021) जन्मोत्सव सप्ताह पर राष्ट्रव्यापी समारोह के तहत एससीएसटीआरटीआई (टीआरआई, ओडिशा), एसटी और एससी विकास विभाग, ओडिशा सरकार ने जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से 15 नवंबर 2021 को वर्चुअल माध्यम से बिरसा मुंडा की जयंती पर ‘भारत की आजादी के संघर्ष में भगवान बिरसा मुंडा के योगदान’ पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।

राष्ट्रीय वेबिनार के उद्घाटन सत्र में ओडिशा के एसटी एवं एससी विकास मंत्री श्री जगन्नाथ सरका, ओडिशा सरकार में एसटी और एससी विकास विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती रंजना चोपड़ा, भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव डॉ. नवलजीत कपूर और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मानव विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर विजय एस सहाय, प्रोफेसर (एमेरिटस) ने हिस्सा लिया।

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श्री जगन्नाथ सरका ने अपने संबोधन में इस बात का उल्लेख किया कि जनजातीय समुदायों ने अपनी उत्कृष्ट कला और शिल्प के माध्यम से देश की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध किया है। उन्होंने अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों के माध्यम से पर्यावरण के संवर्धन, रक्षा और संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाई है। आजादी के लिए ब्रिटिश राज के खिलाफ हुए कई जनजातीय विद्रोह (लगभग 85)  हुए जिनमें अनेक आदिवासी शहीद हुए। शहीद बिरसा मुंडा की जयंती पर 15 नवंबर को जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन करने के लिए उन्होंने एससीएसटीआरटीआई, एसटी एवं एससी विकास विभाग, ओडिशा सरकार को बधाई दी। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को भारत सरकार द्वारा जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया गया है।

डॉ. नवलजीत कपूर, संयुक्त सचिव जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष पर एक साल तक जारी रहने वाले स्मरणोत्सव ’आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए ’जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वेबिनार जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता और साहस की कहानी को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा तथा जनजातीय समुदायों की संस्कृति एवं विरासत की रक्षा, संरक्षण और उसे प्रोत्साहन देने जरिया बनेगा।

श्रीमती रंजना चोपड़ा ने कहा कि इस राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन महान जनजातीय स्वतंत्रता नेता को श्रद्धांजलि देने के रूप में किया गया है। संगोष्ठी और इसके बाद की गतिविधियों से कई अनकहे सच को सामने लाने और भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को रेखांकित करने में बड़ी मदद मिलेगी।

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प्रो. (डॉ.) ए.बी. ओटा, सलाहकार सह निदेशक एवं विशेष सचिव, एससीएसटीआरटीआई ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और कहा कि बिरसा मुंडा एक युवा स्वतंत्रता सेनानी व जनजातीय नेता थे, जिनकी सक्रियता की भावना को भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध के एक प्रबल प्रतीक रूप में याद किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह वेबिनार उनके महान बलिदान और संघर्ष पर प्रकाश डालेगा।

वेबिनार में भारत की आजादी के संघर्ष में भगवान बिरसा मुंडा के योगदान पर तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मानव विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विजय एस सहाय, प्रोफेसर (एमेरिटस) ने उद्घाटन सत्र के दौरान ’भगवान बिरसा मुंडा पंथ का निर्माण: कृषि आंदोलन से स्वतंत्रता संग्राम तक एक जनजातीय नायक की यात्रा’ विषय पर मुख्य भाषण दिया।

महाराजा श्रीराम चंद्र भंज देव विश्वविद्यालय, बारीपदा, ओडिशा के कुलपति प्रोफेसर किशोर कुमार बासा, विद्यासागर विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर सुमहान बंद्योपाध्याय, झारखंड के रांची में बोली जाने वाली मुंडारी लैंग्वेज क्लासेज के कॉर्डिनेटर गुंजल इकिर मुंडा,  डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. सत्य नारायण मुंडा जैसे प्रख्यात व्यक्तित्व और शिक्षाविदों ने तकनीकी सत्र में बतौर पैनलिस्ट हिस्सा लिया, जिसकी अध्यक्षता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर विजय सहाय ने की।

वेबिनार में जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई), सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) के 1000 से अधिक प्रतिनिधियों, जनजातीय संस्कृति और विकास पर काम करने वाले देशभर के गणमान्य व्यक्ति, शिक्षाविद, शोधकर्ता व चिकित्सक शामिल हुए।

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एमजी/एएम/पीकेजे/एसके