सीजीएसटी दिल्ली के अधिकारियों ने 85 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी करने के लिये सात फर्मों की गिरोहबंदी का भंडाफोड़ किया

ई-वे बिलों की गहरी छानबीन के जरिये सीजीएसटी दिल्ली (पूर्व) आयुक्तालय ने पांच फर्मों की एक गिरोहबंदी का भंडाफोड़ किया है, जो वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के खरीदारी पर चुकाये गये टैक्स (आईटीसी) के जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रहे थे।

आगे और पड़ताल करने पर पता चला कि यह गिरोहबंदी दो अन्य प्रतिष्ठानों, मेसर्स श्री महावीर इंटरनेशनल और मेसर्स ग्रेविटी एंटरप्राइजेस का इस्तेमाल कर रही थी। जीएसटी, गुजरात राज्य से भी सूचना मिली थी कि एक कार, जिसका नंबर डीएल 8सीएएस 5941 है, वह गिरोहबंदी की एक फर्म मेसर्स ब्लू वॉटर एक्सोट्रेड प्रा.लि. के नाम पर पंजीकृत है तथा उसे अहमदाबाद में पकड़ा गया है। कार पर ट्रकों पर लगने वाला फास्ट-टैग लगा हुआ था, ताकि दिल्ली से मुंद्रा बंदरगाह के बीच आयात माल का फर्जी आवागमन दिखाया जा सके। फर्जी आपूर्ति के सिलसिले में ई-वे बिलों को मेसर्स श्री महावीर इंटरनेशनल ने जारी किये थे।

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मेसर्स श्री महावीर इंटरनेशलन के मालिक और मेसर्स ग्रेविटी एंटरप्राइसेस के भागीदार श्री राकेश कुमार जैन के आवासीय परिसरों की 10 मार्च, 2022 को तलाशी ली गई। श्री राकेश कुमार जैन ने खुद बयान दिया और उसमें यह स्वीकार किया कि नकली बिलों को गिरोहबंदी वाली फर्मों ने बिना सामान की आपूर्ति किये हासिल किया तथा उन्हें जारी कर दिया।

यह स्पष्ट था कि श्री राकेश कुमार जैन कई फर्मों का इस्तेमाल कर रहे थे, ताकि नकली बिलों और ई-वे बिलों के आधार पर बिना माल भेजे फर्जी आईटीसी दस्तावेज का फायदा उठा लें।

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लिहाजा, उन्हें सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 132(1) (बी) और (सी) के तहत अपराध करने के लिये 10 मार्च, 2022 को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट, नई दिल्ली में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया।

सीजीएसटी दिल्ली (पूर्व) आयुक्तालय द्वारा की जाने वाली अब तक की छानबीन में फर्जी आईटीसी रैकेट का पता चला है, जिसमें सात फर्में, मेसर्स वाइब ट्रेडेक्स, मेसर्स प्राइम मार्क एक्सपोट्रेड प्रा. लि., मेसर्स तिरुपति ओवरसीज, मेसर्स श्री महावीर इंटरनेशनल और मेसर्स ग्रेविटी एंटरप्राइसेज लिप्त पाई गई हैं। इस मामले में आगे जांच चल रही है।

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एमजी/एएम/एकेपी