नीति आयोग और यूनिसेफ इंडिया ने बच्चों पर केन्द्रित एसडीजी के सम्बन्ध में आशय वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए

‘भारत में बच्चों की स्थिति: बहुआयामी बाल विकास में स्थिति और रुझान’ विषय पर भारत की पहली रिपोर्ट तैयार करने के लिए नीति आयोग और यूनिसेफ के बीच सहयोग

नीति आयोग और यूनिसेफ इंडिया ने बच्चों पर केन्द्रित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के सम्बन्ध में एक आशय वक्तव्य (एसओआई) पर हस्ताक्षर किए। भारत में बच्चों के अधिकारों को प्रभावी बनाने के लिए पारस्परिक प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, एसओआई ‘भारत में बच्चों की स्थिति: बहुआयामी बाल विकास में स्थिति और रुझान’ विषय पर पहली रिपोर्ट तैयार करने के लिए सहयोग की रूपरेखा को औपचारिक रूप देने का प्रयास करता है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार और सीईओ श्री अमिताभ कांत तथा यूनिसेफ इंडिया के प्रभारी उप प्रतिनिधि श्री अर्जन डे वाग्ट की उपस्थिति में एसओआई पर सुश्री संयुक्ता समद्दर, नोडल अधिकारी-एसडीजी, नीति आयोग एवं सुश्री ह्यून ही बान, सामाजिक नीति प्रमुख, यूनिसेफ इंडिया ने हस्ताक्षर किए।

एसडीजी के तहत बाल विकास प्राथमिकताओं को हासिल करने के लिए, यूनिसेफ इंडिया और नीति आयोग; स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, जल और स्वच्छता, घरेलू जीवन स्तर और सुरक्षात्मक वातावरण के सन्दर्भ में बच्चों के बीच बहुआयामी सुविधाओं और अभावों को समझने के लिए एक व्यापक उपाय विकसित कर रहे हैं। इसका उद्देश्य बच्चों से संबंधित महत्वपूर्ण एसडीजी की पृष्ठभूमि में बच्चों की वर्त्तमान स्थिति का विश्लेषण करना है, ताकि  हाल के रुझानों को स्थापित किया जा सके। यह प्रयास 2030 एजेंडा पर भारत की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में योगदान देगा और ‘कोई बच्चा छूट ना जाये’ तथा बच्चों के समग्र विकास को हासिल करने के लिए एसडीजी की दिशा में प्रगति को तेज करने के सन्दर्भ में ठोस कार्रवाई के लिए नीतिगत सिफारिशों का एक सेट प्रदान करेगा।

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अपने संबोधन में, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने कहा, ‘यह बाल-केंद्रित एसडीजी पहल, एसडीजी इंडिया इंडेक्स और डैशबोर्ड के माध्यम से प्रगति की निगरानी के हमारे प्रयास पर आधारित है, जो नीतिगत कार्रवाई शुरू करने के लिए एक अनूठी डेटा-संचालित पहल है। यूनिसेफ के साथ यह नई पहल बच्चों के लिए एसडीजी को प्राप्त करने  की लोकनीति पर बनी है और यह सुनिश्चित करती है कि कोई बच्चा पीछे न छूट जाए।’

यूनिसेफ इंडिया के प्रभारी उप प्रतिनिधि श्री अर्जन डी वाग्ट ने कहा, ‘सतत विकास एजेंडा को प्राप्त करने के प्रयासों में सुधार के लिए, बच्चों पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव का समाधान करना महत्वपूर्ण है। बच्चों की स्थिति का व्यापक सर्वेक्षण; स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, सुरक्षित पानी और स्वच्छता, बाल संरक्षण, सामाजिक सुरक्षा और जलवायु कार्रवाई के सन्दर्भ में बहु-क्षेत्रीय नीतियों और कार्यक्रमों का मार्ग प्रशस्त करेगा, ताकि सबसे कमजोर बच्चों तक पहुंच बनाई जा सके। हम इस अग्रणी कदम के लिए नीति आयोग को बधाई देते हैं और हम सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’          

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आगे के रास्ते के बारे में यूनिसेफ इंडिया की सामाजिक नीति की प्रमुख, सुश्री ह्यून ही बान ने कहा, ‘हम बच्चों के बीच सुविधाएँ और अभाव को समझने के क्रम में बहुआयामी उपाय विकसित करने की इस पहल के लिए नीति आयोग की सराहना करते हैं। यह बच्चों से संबंधित एसडीजी पर ध्यान केंद्रित करके एसडीजी हासिल करने के लिए भारत की मजबूत प्रतिबद्धता को दिखाता है। भारत में प्रत्येक तीसरे व्यक्ति में से एक 18 वर्ष से कम आयु का बच्चा है, जबकि प्रत्येक पांचवें व्यक्ति में से एक 10 से 19 वर्ष की आयु का किशोर है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, हम विभिन्न हितधारकों विशेषकर बच्चों, किशोरों और युवाओं से जुड़ने के प्रति आशान्वित हैं।’

नीति आयोग और यूनिसेफ इंडिया के बीच सहयोग; बाल विकास के बहुआयामी पहलुओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, संरक्षण, और अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों पर ध्यान देने के साथ ‘भारत में  बच्चों की स्थिति’ पर पहली रिपोर्ट के लिए तरीके, तकनीकी विश्लेषण, रिपोर्टिंग और कार्य योजना तैयार करेगा। यह परियोजना केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, नागरिक समाज संगठनों और बाल अधिकार समूहों से लेकर सभी हितधारकों को शामिल करने का एक संपूर्ण सामाजिक दृष्टिकोण अपनाएगी।    

 

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