भारतीय राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता संसाधन कार्यक्रम (एनएआरएफआई) पर विचार-मंथन कार्यशाला

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने 22 जून 2022 को भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के सहयोग से राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान (एनआईएएस), बेंगलुरू द्वारा विकसित “भारत के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता संसाधन फ्रेमवर्क (एनएआरएफआई)” पर एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय मिशन शुरू करने के लिए इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में एक विचार-मंथन कार्यशाला का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम वायु गुणवत्ता डेटा एकत्र करने, इसके प्रभाव का अध्ययन करने और विज्ञान आधारित समाधानों को लागू करने के लिए एक सर्व-समावेशी मार्गदर्शिका प्रदान करेगा।

कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रो. सूद ने सरकार, उद्योग और नागरिकों के सभी हितधारकों को एक साथ लाने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो.सूद ने कहा, “प्रदूषण से निपटना एक जटिल और बहुआयामी समस्या है, जिसके लिए अनुसंधानकर्ताओं, सरकारी अधिकारियों और नागरिकों को एक साथ आने की आवश्यकता होगी। समस्या के समाधान के लिए एक एकीकृत, बहु-क्षेत्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी, जबकि समस्या के सामाजिक पहलू का भी समाधान करना होगा।”

उद्घाटन समारोह में राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान (एनआईएएस) के निदेशक और भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव डॉ. शैलेश नायक, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय की वैज्ञानिक सचिव डॉ. (श्रीमती) परविंदर मैनी, एम्स, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया तथा एनएआरएफआई के परियोजना समन्वयक प्रो. गुफरान बेग एवं डॉ. एम. मोहंती उपस्थित थे। कार्यशाला में सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों, वैज्ञानिकों, उद्योग और स्टार्ट-अप प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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मिशन का विवरण प्रस्तुत करते हुए, प्रो. गुफरान बेग ने देश में वायु गुणवत्ता पर प्रमाणित और एकीकृत जानकारी की कमी के बारे में बताया। इस कमी को पूरा करने के लिए विज्ञान आधारित एकीकृत वायु गुणवत्ता संसाधन कार्यक्रम की जरूरत है। प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय द्वारा समर्थित और एनआईएएस द्वारा कार्यान्वित एनएआरएफआई सही दिशा में एक सामयिक कदम है। एनएआरएफआई भारत के विभिन्न जलवायु वाले क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए सरकार, नगर पालिकाओं, स्टार्ट-अप और निजी क्षेत्रों में निर्णय लेने वालों की मदद करने के लिए एक सूचना तंत्र है। इसे अनुसंधान-आधारित परीक्षित सूचना और उद्योग-उन्मुख समाधानों को समझने में आसान प्रूप में साझा किया जाएगा। सरकारी प्रतिष्ठानों, कार्यान्वयनकर्ताओं, मीडिया और नीति निर्माताओं में सक्रिय जमीनी स्तर के कर्मचारियों जैसे विभिन्न समूहों के लिए तैयार किए गए अल्पकालिक बुनियादी प्रशिक्षण मॉड्यूल इस कार्यक्रम के अभिन्न अंग होंगे। कुल मिलाकर, इससे संचार को समृद्ध करने और सामान्य जागरूकता बढ़ाने में मदद मिल सकती है। एनएआरएफआई निम्नलिखित पांच मॉड्यूल के आसपास विकसित होगा:

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थीम-1: उत्सर्जन स्रोत, एयर शेड और शमन

थीम-2: मानव स्वास्थ्य और कृषि पर प्रभाव

थीम -3: एकीकृत निगरानी, ​​पूर्वानुमान और चेतावनी कार्यक्रम

थीम-4: लोक-संपर्क, सामाजिक आयाम, संक्रमण रणनीति और नीति

थीम-5: समाधान, सार्वजनिक-उद्योग साझेदारी, पराली जलाने और नई तकनीक।

इस बात पर बल दिया गया कि तेजी से समाधान प्राप्त करने के लिए अनुसंधानकर्ताओं और उद्योगों के बीच घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता है। नागरिकों के लिए स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्रों में वायु प्रदूषण में कमी लाने पर जोर देना महत्वपूर्ण है ताकि स्थिति की गंभीरता को समझा जा सके और इसका समाधान निकाला जा सके।

प्रो. शैलेश नायक ने एनएआरएफआई के लक्ष्य के बारे में अपनी टिप्पणी में कहा,”हम इस समस्या से निपटने के लिए पश्चिमी देशों में बनाए गए मॉडलों पर काफी हद तक निर्भर हैं। एनएआरएफआई ज्ञान सृजन, बुनियादी ढांचे और औद्योगिक संरचनाओं को विकसित करने और देश में मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों का अध्ययन करने में सक्षम होगा।”

कार्यशाला के बारे में पूछताछ के लिए कृपया लिखें: [email protected]

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